फिरंगी घटे, बढ़ीं राजनीतिक हस्तियां

बाजार में ढाई बजे तक गिरावट का माहौल रहा। फिर वह उठने लगा। लेकिन 4794.90 तक जाने के बावजूद कमोबेश कल के समान स्तर 4754.10 पर बंद हुआ। वैसे, इस बार की गिरावट भी मुझे बेहतर लग रही है क्योंकि बहुत सारे स्टॉक्स खास किस्म की चमक दिखा रहे हैं जिसका मतलब है कि उनके जमने की प्रक्रिया जारी है। बाजार जमने में जितना ज्यादा वक्त लगाएगा, उसमें बढ़त का लक्ष्य उतना ही उठता जाएगा।

खाद्य मुद्रास्फीति अब ऋणात्मक हो चुकी है। सकल मुद्रास्फीति की दर दिसंबर में 8 फीसदी के नीचे रहेगी। इससे रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कमी का वाजिब आधार मिलेगा। अब बहस इस बात को लेकर है कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरें अभी घटानी चाहिए या मुद्रास्फीति के थोड़ा और दबने का इंतजार करना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग मानते हैं कि अभी की गिरावट अस्थाई है, फौरी मामला है।

हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के दाम प्रति बोरी 25 रुपए घटा दिए गए हैं जो दिखाता है कि जिंसों के दाम को अब और चढ़ाकर रखना संभव नहीं हो पा रहा। ऑटो कपनियों में मूल्य-युद्ध छिड़ चुका है। जापानी कंपनी होंडा अपनी पुरानी सहयोगी हीरो मोटोकॉर्प को सस्ती बाइक से चुनौती देने जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों में नरमी आ चुकी है। यह सब साबित करता है कि आज के हालात की तुलना 2008 से नहीं की जा सकती। इसलिए ब्याज दर में कमी अब जरूरी हो गई है और ऐसा होकर रहेगा। इसी संभावना को दर्शाते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई ने कल एक रिपोर्ट चलाई थी जिसमें विश्लेषकों का कहना था कि उन्हें देर-सबेर सीआरआर (रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूप से बतौर कैश रखी जानेवाली बैंकों की जमा का अनुपात) में एक फीसदी कमी की अपेक्षा है। हमारा मानना है कि ब्याज दरों में कटौती सबको चौंकाने के अंदाज में की जाएगी।

सबसे बुरा दौर लगभग बीत जाने का संकेत इस बात से भी मिलता है कि देश में बाहर से पूंजी आने लगी है और रुपए में सुधार शुरू हो चुका है। वैसे, जब सारे फिरंग (विदेशी ब्रोकिंग हाउस) रुपए में निचला लक्ष्य देते हैं तो वह बढ़ना शुरू कर देता है। पिछले एक दशक से हम ऐसा ही देख रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि डॉलर के सापेक्ष रुपया इस महीने सुधरकर 50 तक पहुंच जाएगा।

बाजार को लेकर तेजी की धारणा पालने का तीसरा कारण यह है कि यहां से कम से कम 60 दिनों के बाद बजट के आने से सरकार इस बीच कुछ उलटफेर कर सकती है। इसका एक नमूना हम देख चुके हैं कि उसने कैसे विनिवेश को निरस्त कर खुली नीलामी के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर बेचने का फैसला कर लिया। साथ ही उसने विदेशी निवेशकों की एक ऐसी श्रेणी बना दी जो एफआईआई से अलग है। यकीनन यह कुछ अच्छे ब्रोकिंग और रिसर्च हाउसों के लिए बड़ा सुखद है, जो विदेशी निवेशकों के सपर्क में हैं और उन्हें अच्छे स्टॉक्स के चयन में मदद कर सकते हैं।

यह सच है कि सरकार के पास राजकोषीय घाटे को संभालने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। फिर भी वह कुछ ऐसी अनजान घोषणाएं व तौर-तरीके ला सकती है जिससे बाजार में खरीदारी का माहौल पैदा होगा। कृपया यह बात न भूलें कि साल 2011 में एफआईआई बड़े पैमाने पर बिकवाल नहीं रहे हैं, भले ही वे कभी-कभी भयंकर मंदी के दांव खेलते रहे हों। वहीं, दूसरी तरफ कुछ अज्ञात हस्तियों ने, हो सकता है कि इनका ताल्लुक राजनीति से हो, इस मौके का फायदा उठाते हुए पिछले 15 महीनों के दौरान भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली है। हमारे पास जो आंकड़े हैं, उनसे यह बात साबित हो जाती है।

थोड़े में कहूं तो बाजार आखिरी लड़ाई की तैयारी में लगा है। इसके चलते आपको थोड़ी तकलीफ हो सकती है और निफ्टी फिर से 4530 तक जा सकता है। लेकिन तकलीफ का यह आखिरी दौर होना चाहिए। फिर तो हमें पहले 5200, फिर 6000 और उसके बाद अगले 12 महीनों में 6400 तक पहुंचने का मन बना लेना चाहिए। जो लोग भी इस समय कैश लेकर बैठे हैं उन्हें निचले स्तरों पर खरीद शुरू कर देनी चाहिए। प्रवर्तक भी इस मौके का फायदा अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कर सकते हैं। कौन जाने कि कौन-सा क्यूएफआई (क्वालिफाइड विदेशी निवेशक) आपके शेयर खरीदकर आपके स्वामित्व के लिए ही खतरा पैदा कर दे? अगर आप उधार लेकर भी इस समय निवेश करते हैं तो दो सालों में आप और धन बना लेंगे। मेरी यह बात कट-पेस्ट करके रख लें।

अभी दस से ज्यादा ऐसे स्टॉक्स हैं जो तेजी का पैटर्न बना चुके हैं और कैश सेटलमेंट के चलते जनवरी में ही 30 फीसदी बढ़ जाएंगे। इसलिए मेरा कहना है कि फटाफट अपना होमवर्क पूरा कर लें क्योंकि आगे फैसले भी फटाफट करने प़ड़ सकते हैं।

किस्मत पर नहीं, बल्कि कर्म पर भरोसा करना सीखें। बाकी सब अपने-आप ठीक हो जाएगा।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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