मल्टी ब्रांड रिटेल को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोलने पर सचिवों की समिति की बैठक अगले हफ्ते शुक्रवार, 22 जुलाई को होने जा रही है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में होनेवाली इस बैठक में मुख्य रूप से वाणिज्य, उद्योग, वित्त, खाद्य व उपभोक्ता और कृषि मंत्रालय के सचिव भाग लेंगे। यह समिति अपनी सिफारिशें औद्योगिक नीति व संवधर्न विभाग (डीआईपीपी) को सौंप देगी। इसके बाद डीआईपीपी इस मसले पर कैबिनेट तैयार करके सरकार को सौंपेगा।
सूत्रों के मुताबिक सचिवों की बैठक महज औपचारिकता है क्योंकि सरकार पूरा मन बना चुकी है कि मल्टी ब्रांड रिटेल में 49 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी जाएगी। हालांकि वॉलमार्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय रिटेलर कम से कम 51 फीसदी की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार राजनीतिक फजीहत के बचने के लिए शुरू में 49 फीसदी की ही इजाजत देगी। इसके अलावा एक निश्चित आबादी तक के शहरों को शुरू में इससे बाहर रखने की योजना है। अभी मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की मनाही है, जबकि सिंगल ब्रांड में 51 फीसदी और थोक व्यापार में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत है।
बता दें कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा तो लगातार इसकी सिफारिश करते ही रहे हैं। हाल ही में वित्त मंत्री के साथ अमेरिका गए मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने भी वहां से लौटने के बाद इसकी पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि इससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगाम लग सकती है और किसानों को भी उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा।
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी सीनेट में वॉलमार्ट की तरफ से पेश की गई लॉबीइंग डिस्क्लोजर रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले चार सालों में उसने भारत में मल्टी ब्रांड रिटेल को विदेशी निवेश के वास्ते खोलने का माहौल बनाने के लिए लगभग 70 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।