पंजाब के किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया तो वे अपने खेतों में महीनों की मेहनत से पैदा किया आलू सड़कों के बीचोबीच फेंक देंगे। पिछले कुछ हफ्तों से वे अभी तक सड़कों के किनारे आलू फेंकते रहे हैं।
आलू उत्पादक किसान अपनी फसल इसलिए फेंकने को मजबूर हुए हैं कि क्योंकि आलू की कीमत एक रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है, जबकि उन्हें आलू की उत्पादन लागत कम से कम पांच रुपए प्रति किलो पड़ी है। उनके लिए आलू को कोल्ड स्टोरों में रखना भी महंगा पड़ेगा। आलू उत्पादक संघ के प्रतिनिधि का कहना है कि इस समय आलू आमतौर पर आठ-नौ रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है, लेकिन अधिक पैदावार के कारण इस साल आलू की कीमत एक से डेढ़ रुपए प्रति किलो हो गई है। इससे आलू उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
इधर रविवार को पंजाब सरकार ने देश के भीतर आलू की ढुलाई पर 50 पैसे प्रति किलो और निर्यात पर 1.50 रुपए प्रति किलो सब्सिडी की घोषणा कर दी। लेकिन किसानों का कहना है कि यह राहत न के बराबर है। आलू उत्पादन संघ ने इसे क्रूर मजाक करार दिया है।
साल 2000 में भी आलू उत्पादक किसानों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था और किसानों ने सैकड़ों टन आलू सड़कों पर फेंक दिए थे। उस समय पंजाब ही नहीं, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के किसानों ने सड़कों के किनारे टनों आलू फेंक दिए थे।