लोकपाल विधेयक पर ये यीरघाट तो वे वीरघाट

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे के पक्ष ने अपने जन लोकपाल विधेयक में फोन टैप करने, अनुरोध पत्र जारी करने और भ्रष्टाचार कम करने के लिए कामकाज के तरीकों में बदलाव लाने की सिफारिशें करने संबंधी अधिकार लोकपाल को देने का जिक्र किया है जबकि सरकार के मसौदे में ऐसे किसी भी प्रावधान का जिक्र नहीं है। दोनों मसौदों पर विचार के लिए सरकार ने 3 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

हज़ारे पक्ष ने लोकपाल विधेयक का जो मसौदा सरकार को सौंपा है, उसमें उचित जांच के लिए जरूरी आधुनिक उपकरण खरीदने और सभी सांसदों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्यौरे की जांच करने का अधिकार लोकपान को देने के प्रावधान हैं।

जन लोकपाल विधेयक कहता है कि भारतीय टेलीग्राफ कानून की धारा पांच के तहत लोकपाल को एक ऐसा विशेष अधिकार दिया जाए जिससे वह टेलिफोन, इंटरनेट या किसी अन्य माध्यम के जरिये भेजे जाने वाले संदेशों और आवाजों पर नजर रखने या उन्हें टैप करने की अनुमति दे सके।

हज़ारे पक्ष का मसौदा कहता है कि लोकपाल की पीठ किसी भी मामले में जांच लंबित रहने के दौरान किसी दूसरे देश को न्यायिक मदद के लिए अनुरोध पत्र जारी कर सकती है। मसौदे में यह प्रावधान हज़ारे पक्ष के पूर्व के रुख के विपरीत है क्योंकि 23 मई को हुई मसौदा समिति की बैठक में इस पक्ष के शांति भूषण ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार से अनुमति लेकर इस तरह का अनुरोध अदालतों से करने के बजाय लोकपाल सीधे अदालतों के जरिए अनुरोध पत्र जारी कराए। मसौदा समिति की इस चौथी बैठक में गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने समिति के सह-अध्यक्ष भूषण को बताया था कि अनुरोध पत्र जारी करने का अधिकार अदालतों के पास होता है।

सरकार ने प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के सरकार और हज़ारे पक्ष के मसौदों पर चर्चा के लिए 3 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें राजनीतिक दलों के समक्ष मसौदे के दोनों संस्करण रखे जाएंगे।

प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से रखने जैसे अहम मुद्दों पर हज़ारे पक्ष के साथ गंभीर मतभेद होने के बाद संयुक्त समिति की पिछली बैठक में दोनों पक्षों ने अपने-अपने संस्करणों का अदान प्रदान किया था। सरकार के मसौदे में प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और संसद के भीतर सांसदों के आचरण को लोकपाल के दायरे में रखने के प्रावधान नहीं किये गये हैं। हालांकि, इसमें प्रस्तावित है कि लोकपाल को अर्ध-न्यायिक दर्जा दिया जाएगा और उसे संपत्ति कुर्क करने और स्वतंत्र तरीके से अभियोजन चलाने जैसे अधिकार दिए जाएंगे।

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