ईटीएफ: चलो बाजार खरीद लें

ईटीएफ का मतलब है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। ये मूलतः सूचकांक या जिंसों पर आधारित फंड होते हैं जो शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होते हैं और ब्रोकरों को ऑर्डर देकर या अपने डीमैट खाते से इन्हें हर दिन खरीदा-बेचा जा सकता है। दुनिया भर में ईटीएफ बहुत लोकप्रिय हैं और इनमें संस्थागत निवेशकों के लिए आम निवेशक तक अच्छा-खासा निवेश करते हैं। वहां शेयरों, ऋण प्रपत्रों और सोने ही नहीं, क्रूड ऑयल जैसे जिंसों तक पर आधारित ईटीएफ होते हैं। लेकिन अभी अपने यहां इन्हें कम ही लोग जानते हैं।

बीएसई व एनएसई में कुल 21 ईटीएफ सूचीबद्ध हैं जिनमें से सात गोल्ड ईटीएफ, एक मनी मार्केट (साल भर से कम परिपक्वता वाली प्रतिभूतियां) ईटीएफ और 13 इक्विटी आधारित ईटीएफ हैं। इनमें से अभी तक जो भी थोड़ा-बहुत प्रचार-प्रसार हुआ है, वह गोल्ड ईटीएफ का ही है। 12 इक्विटी ईटीएफ एनएसई निफ्टी, बीएसई सेंसेक्स, निफ्टी बैंक इंडेक्स, पीएसयू बैंक इंडेक्स वगैरह पर आधारित हैं। एक इक्विटी ईटीएफ हांगकांग के हैंगसेंग इंडेक्स पर आधारित हैं। इक्विटी ईटीएफ पूरे इंडेक्स के शेयरों को शामिल रखते हैं। स्टॉक के दाम के साथ इंडेक्स जितना बढ़ता है, संबंधित ईटीएफ का एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) भी उसी के अनुरूप बढ़ता है, लेकिन उतना नहीं। इसमें ट्रैकिंग त्रुटि’ की वजह से कुछ अंतर रहता है। यही गति गोल्ड ईटीएफ की होती है। इसीलिए आप पाएंगे कि अलग-अलग म्यूचुअल फंडों के गोल्ड ईटीएफ के दाम सोने के दाम में समान वृद्धि के बावजूद एक ही दिन में अलग-अलग मात्रा में बढ़ते हैं। सभी ईटीएफ में ट्रेडिंग लॉट एक यूनिट का होता है और अमूमन एक यूनिट का अंकित मूल्य 100 रुपए होता है।

देश में पहला ईटीएफ, बेंचमार्क निफ्टी बीज 12 दिसंबर 2001 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और इसकी लिस्टिंग 8 जनवरी 2002 को हुई थी। देश का पहला गोल्ड ईटीएफ भी बेंचमार्क म्यूचुअल फंड ने ही 15 फरवरी 2007 को लांच किया और इसकी लिस्टिंग 17 अप्रैल 2007 को हुई। ईटीएफ म्यूचुअल फंडों की तरफ से पेश किए जाते हैं। वे होते भी इंडेक्स आधारित फंड हैं, लेकिन आम फंडों से थोड़े अलग। इंडेक्स आधारित स्कीमों की यूनिटों को म्यूचुअल फंड से ही खरीदा-बेचा जा सकता है, जबकि ईटीएफ की यूनिटें शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के बीच खरीदी-बेची जाती हैं। लेकिन ये पूरी तरह शेयर भी नहीं हैं क्योंकि इन यूनिटों की मात्रा कंपनी के जारी शेयरों की तरह स्थिर नहीं होती। मांग बढ़ने पर म्यूचुअल फंड ईटीएफ की नई यूनिटें जारी कर देता है। इसलिए इनके भावों पर शेयरों की तरह मांग बढ़ने का फर्क नहीं पड़ता। ईटीएफ बिना फ्यूचर सौदे किए इंडेक्स फ्यूचर जैसा रिटर्न देते हैं।

ईटीएफ काफी सस्ते किस्म के फंड हैं। जहां आमतौर पर निवेशकों से म्यूचुअल फंड स्कीमों को मैनेज करने के लिए 2.25 फीसदी तक खर्च लिया जाता है, वहीं ईटीएफ पर यह खर्च 0.3 से 1 फीसदी रहता है। शेयरों की तरह इस पर ब्रोकरेज कमीशन लगता है जो काफी मामूली होता है और साल भर के भीतर बेचेंगे तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी लगेगा। असल में ईटीएफ को मैनेज करने पर म्यूचुअल फंड को अलग से फंड मैनेजर नहीं बैठाने पड़ते क्योंकि इसमें सब कुछ ऑटोमेटिक होता है। शुरू से ही तय है कि कौन से इंडेक्स या जिंस पर यह आधारित है तो उसी हिसाब से इसके फंड का निवेश होता रहता है।

असल में ईटीएफ निवेशकों को बाजार का एक हिस्सा खरीदने जैसी सुविधा देता है। आपको लगता है कि सरकारी क्षेत्र के बैंक अच्छा कर रहे हैं तो उनके शेयरों पर आधारित ईटीएफ खरीद लीजिए। हैंग सेंग सूचकांक अच्छा चल रहा है और आगे अच्छा जाएगा तो उससे जुड़ा ईटीएफ खरीद लीजिए। आपको लग रहा है कि सेंसेक्स या निफ्टी के बजाय मिड कैप व स्मॉल कंपनियों के शेयर अच्छा कर रहे हैं तो उन पर आधारित कोई ईटीएफ हो तो उसे खरीद लीजिए। शेयरों के आईपीओ की तरह ईटीएफ का भी एनएफओ (न्यू फंड ऑफर) आता है। नहीं तो बाद में समझ बूझकर सीधे बाजार से खरीद सकते हैं।

कुल मिलाकर देखें तो ईटीएफ में म्यूचुअल फंड, शेयर और इंडेक्स फ्यूचर तीनों के फायदे हैं। ऊपर से यह सस्ता भी पड़ता है। अगर आपको बाजार की लय-ताल के साथ चलना है तो ईटीएफ बहुत अच्छा माध्यम हैं। देर-सबेर विकसित देशों की तरफ अपने यहां भी इनके चलन और लोकप्रियता का बढ़ना तय है।

2 Comments

  1. ETF ke bare me bahut hi saral bhasha me achhi jankari mili.
    many many Thanks……..

  2. Useful info..

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