मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में मिली चट्टान, हीरे की खदान की आशा बढ़ी

मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले में किम्बरलाइट या  हीरे वाली चट्टान की खोज के साथ ही निकट भविष्य में हीरे की खदान प्राप्त होने की आशा है। खनिज विभाग के सूत्रों के अनुसार ब्रिटिश-ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिन्टो द्वारा किम्बरलाइट पाइपों की खोज की दिशा में विस्तृत काम के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने कंपनी को दो पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां इसी क्षेत्र में स्वीकृत की थीं।

कंपनी द्वारा हीरा उत्पादन के लिए छतरपुर जिले में दो खनिज लीज आवेदन प्रस्तुत किए गए थे जिन्हें स्वीकृति से पहले केंद्र सरका के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट के मुताबिक उन्होने बताया कि प्रदेश में अत्याधुनिक तकनीक से खनिजों की खोज के लिए निजी कंपनियों को रिकोनेसेन्स या सर्वेक्षण परमिट स्वीकृत किए जा रहे हैं।

अब तक खनिज विभाग द्वारा राज्य के लगभग 88 हजार वर्ग किमी भू-भाग पर कुल 67 रिकोनेसेन्स परमिट मंजूर किए गए हैं। कुछ कंपनियों द्वारा किये गये काम के परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इसी प्रकार टोही परमिट के अंतर्गत जियो मैसूर सर्विसेज इंडिया प्रा.लि. को प्रदेश में सोना, तांबा, निकिल, प्लेटिनम, पेलेडियम खनिजों के संकेत प्राप्त हुए हैं। इन कंपनियों को सोना भंडारण के आकलन के लिए दो पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां सिंगरौली में और एक पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति सीधी जिले में स्वीकृत कर दी गई है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश का पन्ना जिला अपने हीरों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां एशिया की सबसे बड़ी हीरा खदान है जिसमें जेम, इंडस्ट्रियल और ऑफ कलर हीरे पाए जाते हैं। पर्यावरण विभाग की आपत्ति के चलते एनएमडीसी की खदान को 22 अगस्त 2005 को बंद कर दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे करीब दो साल पहले जून 2009 से फिर से चालू कर दिया गया है।

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