80% पिनकोड तक पहुंचे डीमैट खाते

देश में शेयर ट्रेडिंग के लिए जरूरी डीमैट खातों की संख्या अभी भले ही 1.69 करोड़ तक सीमित हो, लेकिन इनका दायरा देश के 80 फीसदी पिनकोड पतों तक फैल चुका है। यह दावा है देश की प्रमुख डिपॉजिटरी संस्था एनएसडीएल (नेशनल सिक्यूरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) का। एनएसडीएल में डीमैट खातों की संख्या अभी 1.02 करोड़ है, जबकि दूसरी डिपॉजिटरी संस्था सीडीएसएल (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड) में इस समय कुल 67.06 लाख डीमैट खाते हैं। इनमें बंद हो चुके खाते शामिल नहीं हैं। एनएसडीएल का कहना है कि उसके पास नवंबर 1996 से लेकर अब तक औसतन हर दिन 3646 डीमैट खाते खुल रहे हैं।

इधर पूंजी बाजार संस्था, सेबी ने भी डिपॉजिटरी संस्थाओं को और ज्यादा पारदर्शी बनाने की कोशिश तेज कर दी है। गुरुवार को ही उसने एक सर्कुलर जारी कर एनएसडीएल और सीडीएसएल को निर्दश दिया है कि वे 1 अप्रैल 2007 के बाद लिए गए सारे फैसले व आदेश 30 दिन के भीतर अपनी वेबसाइट पर डाल दें। इसके बाद से नियमन संबंधी जो भी आदेश होंगे, उन्हें इन संस्थाओं को तत्काल अपनी वेबसाइट पर डाल देना होगा। इसमें सेबी के सर्कुलर भी शामिल हैं।

बता दें कि इस साल जनवरी से अप्रैल तक के चार महीनों में एनएसडीएल और सीडीएसएल ने व्यक्तिगत निवेशकों के लिए तकरीबन 6 लाख नए डीमैट एकाउंट खोले हैं। डीमैट खातों की मौजूदा संख्या साल भर पहले की तुलना में 13 फीसदी अधिक है, जबकि इससे पिछले साल इनमें 6.8 फीसदी वृद्धि हुई थी। एक अध्ययन के मुताबिक निफ्टी में शामिल 50 कंपनियों में से दो-तिहाई कंपनियां ऐसी हैं जिनमें मार्च 2007 से मार्च 2010 के दौरान रिटेल शेयरधारकों की संख्या में इजाफा हुआ है। यूनिटेक, भारती एयरटेल और सुजलॉन एनर्जी में तो रिटेल शेयरधारकों की संख्या इस दौरान चार से पांच गुना बढ़ी है।

इस बारे में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सीईओ मधु कन्नन ने हाल ही में कहा था कि उन्हें कहीं से नहीं लगता कि शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी में आगे कमी आएगी। देश में आमदनी का स्तर बढ़ रहा है। बैंक डिपॉजिट बढ़ रहे हैं। जिस तरह शेयर बाजार में नए से नए उत्पाद आ रहे हैं, उसमें स्वाभाविक है कि यह पैसा देर-सबेर बाजार में आएगा। हां, ये जरूर हो सकता है कि यह पैसा सीधे न आकर म्यूचुअल फंडों के जरिए बाजार में आए। वैसे, यह तथ्य है कि विकसित देशों में शेयरों में रिटेल निवेशकों की भागीदारी सीधे न होकर संस्थाओं के जरिए होती है।

1 Comment

  1. महत्वपूर्ण जानकारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *