जो कश्मीर आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है, वहां अगर हमारी सेना के कुछ अफसर ही एयरफोर्स समेत रक्षा विभाग की जमीन गलत तरीके से बेचने लग जाएं तो दो बातें साफ हो जाती हैं। एक यह कि इन अफसरों का देशभक्ति की भावना से कोई लेनादेना नहीं है। और, दो यह कि देश में भ्रष्टाचार इतना सर्वग्रासी हो गया है कि सेना तक उससे अछूती नहीं रह गई है।
रक्षा मंत्रालय ने अपनी जांच में पाया है कि श्रीनगर वायुसेना अड्डे की जमीन सहित रक्षा भूमि प्राइवेट बिल्डरों को देने के लिए नियमों को तोड़कर करीब 70 तदर्थ अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किए गए हैं। मंत्रालय ने उच्चाधिकार समिति से जांच कराने के बाद इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउने ने समाचार एजेंसी को बताया कि रक्षा संपदा संगठन के कुछ अधिकारियों ने कई तदर्थ अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किये। इस मामले में जांच जरूरी है। रक्षा मंत्रालय का एक उच्चाधिकार प्राप्त दल वहां गया था जिसने इस मामले की जांच की है।
बता दें कि श्रीनगर में रक्षा संपदा संगठन ने प्राइवेट बिल्डरों को जो करीब 70 एनओसी जारी किए हैं, उनमें से चार एनओसी वायुसेना की उस जमीन के लिए दिए गए हैं जिस पर श्रीनगर में वायुसेना अड्डा बना है। जांच में पाया गया कि राज्य सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत में रक्षा संपदा संगठन के अफसरों ने वायुसेना अड्डे और 15वीं कोर के मुख्यालय व उसके आसपास की भूमि बेचने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिए हैं।