डीसीडब्ल्यू लिमिटेड (बीएसई कोड – 500117, एनएसई कोड – DCW) बहुत पुरानी बाप-दादा के जमाने की कंपनी है। कास्टिक सोडा, क्लोरीन व उसके यौगिक, पीवीसी रेजिन, सोडा एश और अमोनियम बाईकार्बोनेट जैसे कई बुनियादी रसायन बनाती है। घोड़े की नाल इसका लोगो है। सवाल उठता है कि बैंकिग, आईटी, मल्टी मीडिया और रीयल्टी के लकदक जमाने में ऐसी कंपनी को कौन पूछेगा? लेकिन ऐसा नहीं है। कल बीएसई में इसके 11.21 लाख शेयरों के सौदे हुए हैं, जबकि एनएसई में 12.32 लाख शेयरों के। बीएसई में 36.89 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे तो एनएसई में 41.98 फीसदी। यह सच है कि बाजार में वोल्यूम बनाने का खेल चलता है। लेकिन ट्रेडरों की सक्रियता बढ़ने का यह तो मतलब है ही कि इसमें अचानक कई कोनों से लोगों की दिलचस्पी बन गई है।
कल गुरुवार को कंपनी का दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई में 0.55 फीसदी और एनएसई में 0.83 फीसदी बढ़कर 18.15 रुपए पर बंद हुआ है। इसमें सर्किट सीमा 20 फीसदी की है। जानकारों का कहना है कि जल्दी ही इसे तानने का कमाल हो सकता है। बता दें कि कंपनी की दूसरी तिमाही के नतीजे खास अच्छे नहीं रहे हैं। 30 सितंबर 2010 को खत्म तिमाही में उसकी आय 283.57 करोड़ रुपए रही है जो पिछले साल की समान अवधि में 272.50 करोड़ रुपए थी। लेकिन कच्चे माल की लागत और बिजली व ईंधन का खर्च बढ़ जाने से उसका शुद्ध लाभ 23.75 करोड़ रुपए से घटकर 11.48 करोड़ रुपए रह गया है। इससे पहले जून 2010 की तिमाही में कंपनी ने 229.64 करोड़ रुपए की आय पर 11.23 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में उसकी आय 1027.80 करोड़ और शुद्ध लाभ 67.63 करोड़ रुपए था।
आगे का बहुत पता नहीं नहीं, लेकिन अभी तक की वित्तीय स्थिति यह है कि कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू 19.81 रुपए है, जबकि उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 2.56 रुपए है। 18.15 रुपए के मौजूदा बाजार भाव पर उसका पी/ई अनुपात निकलता है केवल 7.09। ये आंकड़े कंपनी में निवेश का पुख्ता आधार दे रहे हैं, जबकि कंपनी का मजबूत अतीत उसके प्रति भरोसा पैदा करता है। वैसे भी पुरानी कहावत है कि मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है। और, यह तो बड़े-बड़ों के काम की नामी कंपनी है।
कंपनी की शुरुआत 1925 में गुजरात के एक सामान्य इलाके ध्रांगध्रा में देश की पहली सोडा एश फैक्टरी लगाने से हुई। 1939 में इसका नाम ध्रांगध्रा केमिकल वर्क्स कर दिया गया जो बाद में संक्षिप्त होकर डीसीडब्ल्यू बना। 1959 में कंपनी ने तमिलनाडु के साहूपुरम में क्लोर एल्कली का संयंत्र चालू किया। 1965 से 1970 के दौरान उसने क्लोरीन बनाने के तीन संयंत्र लगाए जो उसके लिए मुनाफे की खान बन गए। धीरे-धीरे कंपनी भारत ही नहीं, एशिया में अपनी जगह बनाती चली गई। 1986 में उसकी कॉरपोरपेट पहचान डीसीडल्ब्यू लिमिटेड के रूप में बना दी गई। वह इस समय देश की सबसे सम्मानित व मजबूत रयासन कंपनियों में गिनी जाती है। फिलहाल 100 करोड़ रुपए की लागत से फेराइट ग्रेड का नया आइरन ऑक्साइड परियोजना लगाने की प्रक्रिया में है।
कंपनी की इक्विटी 39.23 करोड़ रुपए है, जबकि उसके पास 334.82 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 38.91 फीसदी है। एफआईआई के पास कंपनी के 12.84 फीसदी और डीआईआई के पास 4.64 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के चेयरमैन डॉ. शशि चंद जैन, उप-चेयरमैन शरद कुमार जैन और प्रबंध निदेशक बकुल जैन हैं। जाहिर है कि यह परिवार संचालित कंपनी है। करीब 50 नाते-रिश्तेदारों व उनकी फर्मों में प्रवर्तकों का हिस्सा बंटा हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा 22.32 फीसदी शेयर साहू ब्रदर्स सौराष्ट्र प्रा. लिमिटेड के पास हैं।
बाकी चर्चा यह है कि ज्योमेट्रिक लिमिटेड (बीएसई कोड – 532312), आरसी कॉस्मेटिक्स (531320) और एमको पेस्टिसाइड (524288) पर नजर रखिए। इनमें कुछ खेल चल रहा है। रिलायंस पावर में नई गति आ गई है। यह कल 191 रुपए तक पहुंच गया और अगले हफ्ते 210 रुपए तक जा सकता है। आपको याद होगा कि हमने 21 मई को नवनीत पब्लिकेशंस में निवेश की सलाह दी थी। तब इसका भाव 50.05 रुपए था, अब 62.45 रुपए है। इस बीच 7 अक्टूबर को यह 75.80 रुपए तक चला गया था। इसमें फिर तेज हलचल के आसार हैं। इसी तरह जीआईसी हाउसिंग को हमने 104 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी जो 25 अक्टूबर को 161.55 रुपए तक जाने के बाद कल 152.10 रुपए पर बंद हुआ है। इसमें भी नई तेजी के आसार हैं।
सर् हम जैसे लोगों को सोमवार से क्या करना चाहिए, मार्गदर्शन करें अति क्रिपा होगी ।