यहीं कहीं है सुबह अंतहीन रात की

निफ्टी के 4000 तक पहुंच जाने के अंतहीन अनुमान और भारत के अंतहीन डाउनग्रेड का सिलसिला पूरा घूम चुका है। हालांकि सेंसेक्स कंपनियों के निचले लाभार्जन का अनुमान इस सूचकांक को 11,600 पर पहुंचा देता है। मतलब यह कि सेंसेक्स अगर 11,000 पर पहुंचता है तो बाजार को 9.48 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड होना पड़ेगा। लेकिन ऐसी नौबत तो 1991 में भी नहीं आई थी, जब भारत दीवालियेपन की कगार तक पहुंच गया था। पिछले 15 सालों में सेंसेक्स का औसत पी/ई अनुपात 15 रहा है, जबकि अमेरिकी शेयर बाजार का औसत पी/ई अनुपात 24 के ऊपर है।

वास्तविकता यह है कि ये सारे के सारे डाउनग्रेड करनेवाले विदेशी हैं। इसलिए उनका निहित स्वार्थ तो आप समझ ही सकते हैं। लेकिन घरेलू ब्रोकरेज हाउस ऐसा कैसे कर सकते हैं? हमारी सरकार भी शेयर बाजार को लेकर कैसे इस कदर मूकदर्शक और चिकना घड़ा बनी रह सकती है?

लाभार्जन के नए अनुमान 2012 में सेंसेक्स के 11,600 और 2013 में 12,700 पर जाने की बात कह रहे हैं। लेकिन 2012 में उचित मूल्यांकन के लिहाज से सेंसेक्स को 17,400 और 2013 में 19,050 पर होना चाहिए। और, बाजार हमेशा कम से कम एक साल आगे की संभावित स्थिति को जज्ब करके चलता है। इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल सेंसेक्स के 14,000 या 15,000 तक जाने की कोई सूरत नहीं है।

इस समय हम जो भी करेक्शन या गिरावट देख रहे हैं, वह शुद्ध रूप से अतिशय प्रतिक्रिया और एफआईआई व मंदड़ियों के मजबूत कार्टेल की कारस्तानी का नतीजा है। सीएलएसए ने लाभार्जन के आधार पर सेंसेक्स को डाउनग्रेड कर 18,000 से 17,000 पर पहुंचा दिया था। लेकिन टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित भय और लालच से भरी वो आखिरी रिपोर्ट एकदम बकवास है जिसमें सेंसेक्स के गिरकर 11,000 तक चले जाने का अनुमान लगाया गया है।

यह विदेशी बाजारों का असर हो, रुपए को संभालने की सरकारी कोशिशों का नतीजा हो या निचले स्तरों पर निवेशकों की खरीद, बाजार पांच दिनों से चल रही गिरावट के क्रम को तोड़कर आज सुबह से ही बढ़त लेकर चल रहा था। लेकिन अचानक ढाई बजे के बाद फिर वही पुराना बड़ा खेला हो गया। तेजी अचानक ज्यादा ही तेज हो गई। सेंसेक्स 510.13 अंक (3.36 फीसदी) बढ़कर 15,685.21 और निफ्टी 148.95 अंक (3.28 फीसदी) बढ़कर 4693.15 पर बंद हुआ। बाजार का इतना बढ़ना मायने रखता है। लेकिन यह शॉर्ट कवरिंग का तात्कालिक नतीजा है। स्थाई स्थिति नहीं।

हालांकि इस समय उन लोगों के लिए खरीदने का स्वर्णिम मौका है जो अभी बटोर कर आराम से इंतजार करना चाहते हैं क्योंकि 17,400 से नीचे की हर स्थिति अतिशय प्रतिक्रिया में की गई शॉर्ट सेलिंग का नतीजा है। यह शॉर्ट सेलिंग भी इसलिए चल रही है क्योंकि उसे डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट की शह मिली हुई है। जब ट्रेडर हों ही नहीं, तब आप मनमर्जी से बाजार पर चोट कर सकते हैं और दिखा सकते हैं कि मंदी की आपकी कयासबाजी और मंशा कितनी सही थी।

लेकिन याद रखें जो लोग बाजार की तलहटी पर बेचने की गलती करते हैं, उन्हें सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है और उनका तब तक कमाया गया सारा फायदा नुकसान में बदल जाता है। ट्रेडरों को मेरी सलाह है कि वे अपना रुख सकारात्मक बनाएं। निवेशकों से मुझे कहना है कि मत चूको चौहान, मौका हाथ से न जाने दो। बाकी, देखते हैं कि मंदड़िए की अम्मा कब तक खैर मनाएगी और वे कब तक इस स्तर पर यूं ही डांस करते रहेंगे?

जानते हैं, परिष्कृत होने का चरम स्तर क्या है? सादगी।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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