न सीआरआर घटा, न ब्याज दरें बढ़ी, रिजर्व बैंक की पहल उम्मीद से कम

इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं और जो नतीजा निकला वो न बहुत ज्यादा रहा और न ही बहुत कम। रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 से ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला रोक दिया है। उसने अपेक्षा के मुताबिक रेपो दर को 8.5 फीसदी पर यथावत रखा है। इसके अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 7.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रही है। शेयर बाजार ने रिजर्व बैंक के इस रुख का स्वागत किया और सेंसेक्स व निफ्टी दोनों में करीब डेढ़ फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। लेकिन शाम होते-होते बाजार का रुख पलट गया और वो करीब दो फीसदी गिरावट के साथ हुआ।

रेपो और रिवर्स रेपो दर से ही बैंकिंग क्षेत्र में ब्याज दरों का निर्धारण होता है। रेपो दर ब्याज की वह सालाना दर है जिस पर बैंक एक दिन या छुट्टियों के वक्त ज्यादा दिन के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं। वहीं, रिवर्स रेपो दर ब्याज की वह सालाना दर है जो रिजर्व बैंक एक या कुछ दिनों के लिए बैंकों द्वारा जमा कराए गए धन पर उनको अदा करता है। ये दोनों ही काम रिजर्व बैंक अपनी चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत करता है और दोनों में ही सरकारी बांडों को जमानत के तौर पर लिया-दिया जाता है।

बैंक अपनी कुल जमा की एक फीसदी रकम ही एलएएफ के तहत रिजर्व बैंक से उधार ले सकते हैं। अगर वे इससे ज्यादा उधार लेते हैं कि रिजर्व बैंक एमएसएफ (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) के तहत रेपो से एक फीसदी ज्यादा ब्याज लेता है। इसलिए एमएसएफ के तहत ब्याज की दर 9.5 फीसदी पर जस की तस बनी हुई है। इस समय चूंकि सिस्टम में तरलता का अभाव है और बैंक हर दिन रिजर्व बैंक से धन उधार ले रहे हैं, इसलिए रेपो दर ही मुख्य नीतिगत दर मानी जाएगी।

उद्योग जगत और शेयर बाजार को अपेक्षा थी कि रिजर्व बैंक सिस्टम में लिक्विडिटी या तरलता बढ़ाने के लिए सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) में कमी कर देगा। लेकिन रिजर्व बैंक ने सीआरआर को 6 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। हां, रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को पेश की गई मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में देश की आर्थिक विकास दर के घटने और औद्योगिक विकास में सुस्ती आने पर चिंता जताई है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर 2011 की छमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास घटकर 7.3 फीसदी पर आ गई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 8.6 फीसदी थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर 2011 में बढ़ने के बजाय 5.1 फीसदी घट गया है। इस गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 25.5 फीसदी घटने का रहा है।

मुद्रास्फीति का कोई नया अनुमान रिजर्व बैंक ने नहीं पेश किया है। अभी तक मार्च 2012 में मुद्रास्फीति के बारे में उसका अनुमान 7 फीसदी का है। अगले महीने जनवरी 2012 में तीसरी तिमाही की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के साथ ही जीडीपी की विकास दर के नए अनुमान पेश करेगा। फिलहाल के लिए रिजर्व बैंक का मानना है कि मुद्रास्फीति में रुख गिरावट का है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति की दर 9.73 फीसदी थी, जबकि नवंबर में यह थोड़ी सी घटकर 9.1 फीसदी रह गई है।

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