अतुल ऑटो में नित चली नवी-नवाई

यह खबर का ही प्रताप है कि कल जब बाजार एकदम फ्लैट रहा, तब भी अतुल ऑटो का शेयर 6.45 फीसदी बढ़कर बंद हुआ। हालांकि दिन में यह 7.91 फीसदी तक बढ़कर 133.05 रुपए पर पहुंच गया था। लेकिन बंद हुआ 131.25 रुपए पर। यह भी अजब संयोग है कि ठीक साल भर पहले आज ही के दिन 14 जून 2010 को अतुल ऑटो का शेयर अपने न्यूनतम स्तर 70.05 रुपए पर था। मान लें कि किसी ने उस दिन इस भाव पर अतुल ऑटो के शेयर खरीदे होंगे तो वह आज 90 फीसदी रिटर्न पाकर फूला नहीं समा रहा होगा।

असल में थ्री-व्हीलर बनानेवाली गुजरात की यह कंपनी तीन-चार हफ्ते पहले से बराबर चर्चा में है। 13 मई को उसने घोषित किया कि उसने बांग्लादेश की एक कंपनी अतुल ऑटोज से हाथ मिला लिया है। 19 मई को केंद्र सरकार ने फैसला किया कि वह स्कूटर्स इंडिया की 95.38 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी तो अतुल ऑटो ने फौरन कह दिया कि वह पूरी की पूरी इक्विटी खरीदने को तैयार है। आगे बढ़ने से पहले बता दें कि अतुल ऑटो केवल बीएसई (कोड – 531795) में लिस्टेड है। कंपनी का शेयर उस दिन 19 मई को 128.65 रुपए पर था। अगले दो-तीन दिनों तक पुराने निवेशकों ने मुनाफा कमाने की सोची तो शेयर 24 मई तक गिरकर 117.15 रुपए पर आ गया। लेकिन उसके बाद बढ़ रहा है तो बढ़ता ही जा रहा है।

30 मई को कंपनी ने सालाना नतीजे घोषित किए तो पता चला कि वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री में 68.68 फीसदी और शुद्ध लाभ में 107.71 फीसदी का इजाफा हुआ है। दो दिन में शेयर बढ़कर ऊपर में 132 रुपए तक चला गया। फिर हल्की-सी मुनाफावसूली हुई तो वह बीते हफ्ते सोमवार 6 जून को नीचे में 115.60 तक चला गया। इसी दिन खबर आ गई कि अतुल ऑटो अहमदाबाद के नजदीक जमीन तलाश रही है। अगले दिन 7 जून को कंपनी ने स्वीकार किया कि यह सच है क्योंकि कुछ नए उत्पादों को शुरू करने के राजकोट जिले में शापर स्थित मौजूदा संयंत्र में पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए वह कुशल कामगारों वगैरह की उपलब्धता को देखते हुए अहमदाबाद के आसपास जमीन देख रही है। शेयर को फिर थोड़ा आवेग मिला और 10 जून तक यह ऊपर में 129 रुपए तक चला गया।

इसके बाद रविवार 12 जून को कंपनी के निदेशक विजय केडिया के हवाले खबर आ गई कि वह हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) के सेगमेंट में उतर रही है। इसके संयंत्र के लिए अहमदाबाद के पास 100 एकड़ जमीन खरीदी जाएगी और इस पर 200 करोड़ रुपए का निवेश होगा। लागत का इंतजाम कंपनी अपनी आंतरिक प्राप्तियों व कर्ज से करेगी। दिसंबर 2012 तक 600-1000 टन क्षमता का यह छोटा ट्रक सड़कों पर उतर जाएगा। कंपनी की योजना साल भर करीब 24,000 ट्रक बनाने-बेचने की है। इतनी पुख्ता खबर के बाद शेयर को तो बढ़ना ही था और वह कल, यानी सोमवार को 6.45 फीसदी का उछाल ले गया।

हालांकि इतनी बढ़त के बाद हासिल भाव 131.25 रुपए पर भी वह महंगा नहीं है, न तो वर्तमान के लिहाज से और न ही भविष्य के लिहाज से। ताजा नतीजों के अनुसार कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 15.51 रुपए है। इस तरह उसका शेयर अभी 8.46 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसी श्रेणी की अन्य कंपनियों में महाराष्ट्र स्कूटर्स का शेयर 19.1 और बजाज ऑटो का शेयर 13.8 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। असल में सारी वाहन कंपनियों से अपना अलग सेगमेंट अतुल ऑटो ने तय कर रखा है और वह उसमें तेजी से बढ़ रही है।

हाल ही में उसने तिपहिया स्कूटर में अतुल जेम नाम का नया ब्रांड लांच किया और देखते ही देखते उसने बाजार में अपनी अलग जगह बना ली। हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) में वह अल्ट्रा एलसीवी में उतर रही है। बहुत मुमकिन है कि वह स्कूटर्स इंडिया को खरीद लेगी जिसके स्थापित ब्रांड विक्रम के दम पर कंपनी उत्तर भारत के बाजारों में अच्छी पैठ बना सकती है। कहने का मतलब यह है कि अतुल ऑटो में निरंतर आ रही नई-नई खबरें उसके नए ज़ोन में पहुंचने का संकेत हैं। कंपनी प्रबंधन बहुत सधे हुए कदमों से आगे बढ़ रहा है।

हां, अतुल ऑटो का लालभाई समूह की कंपनी अतुल लिमिटेड से कोई लेना-देना नहीं है। अतुल ऑटो के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक जे जे चंद्रा हैं। एम जे पटेल उसके संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं। कंपनी की कुल इक्विटी मात्र 6.08 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 40.70 फीसदी पब्लिक के पास और प्रवर्तकों के पास बाकी 59.70 फीसदी हिस्सा है। साल भर पहले प्रवर्तकों ने अपने आधे शेयर गिरवी रखे हुए थे। लेकिन अब वे इसे पूरी तरह छुड़वा चुके हैं।

एफआईआई व डीआईआई इस तरह की स्मॉल कैप व देसी कंपनियों में निवेश नहीं करते तो इससे भी वे पूरी तरह दूर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या मात्र 1537 है। इसमें से पांच बड़े शेयरधारकों के पास 20.17 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें विजय किशनलाल केडिया (5.37 फीसदी), केडिया सिक्यूरिटीज (8.54 फीसदी), कमल कुमार जालान सिक्यूरिटीज (3.89 फीसदी), दयाभाई पटेल (1.28 फीसदी) और जयकिशन राही (1.08 फीसदी) शामिल हैं।

मुझे लगता है कि बी ग्रुप के इस शेयर में बढ़ने की पर्याप्त गुंजाइश है क्योंकि यह आमतौर पर 15 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड होता रहा है और शेयरधारकों की कम संख्या के बावजूद इसमें तरलता भी ठीकठाक रहती है। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 159.90 रुपए का है जो इसने 5 नवंबर 2010 को हासिल किया था। इसमें कम से कम दो साल के नजरिये से निवेश किया जाना चाहिए। कितना रिटर्न मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। हां, तंत्री किस्म का कोई एनालिस्ट जरूर झूठमूठ का हल्ला मचा सकता है कि जिस तरह बीते साल इसने 90 फीसदी का रिटर्न दिया है, उसी तरह अगले दो साल में यह दोगुना हो सकता है। लेकिन सब्जबाग में मत पड़िए। खुद देखिए, परखिए। अपने जोखिम का अंदाजा लगाइए। तभी निवेश कीजिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *