करीब साल-सवा साल पहले हमारे चक्री महाराज इंडिया सीमेंट्स को झकझोरे पड़े थे। सीमेंट के धंधे के साथ-साथ आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग टीम की मालिक इस कंपनी का शेयर तब 140 रुपए के आसपास चल रहा था। चक्री का दावा था, “अगले दो-तीन सालों में आईपीएल टीम के मूल्यांकन के दम पर इंडिया सीमेंट का शेयर 450 रुपए तक जा सकता है। अभी फिलहाल अगले कुछ महीनों में तो इसमें 100 रुपए के बढ़त की पूरी संभावना है।” लेकिन साल भर के बाद यह शेयर बढ़ने के बजाय इसी महीने 9 अगस्त को 62.10 रुपए पर 52 हफ्ते की तलहटी पर पहुंच गया। ऐसा भी नहीं कि कंपनी ने बोनस शेयर वगैरह दिए हों, जिसके चलते उसका शेयर घटकर आधे पर आ गया हो।
कल इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 530005) में 6.05 फीसदी गिरकर 67.55 रुपए और एनएसई (कोड – INDIACEM) में 6.25 फीसदी गिरकर 67.50 रुपए पर बंद हुआ है। ऐसा तब हुआ है जब कंपनी ने बीते शुक्रवार, 12 अगस्त को ही जून तिमाही के जबरदस्त नतीजे घोषित किए हैं। शानदार नतीजों के बाद इतनी गिरावट का ओरछोर नहीं समझ में आता। नहीं समझ में आता कि इसका तुक और तर्क क्या है? हां, यह सच है कि कल से उसका शेयर एक्स-डिविडेंड हुआ है। लेकिन क्या दस रुपए पर 1.50 रुपए (शुक्रवार के बंद भाव 71.90 रुपए पर 2.09 फीसदी) का लाभांश हट जाने से शेयर को 6 फीसदी से ज्यादा गिर जाना चाहिए था?
कंपनी ने जून 2011 की तिमाही में 1056.82 करोड़ रुपए की बिक्री पर 102.03 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसकी बिक्री साल भर पहले की तुलना में 20 फीसदी और शुद्ध लाभ 308.45 फीसदी ज्यादा है। इस अवधि में कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन भी 11.60 फीसदी से बढ़कर लगभग दोगुना 22.94 फीसदी हो गया है। यह सच है कि बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री 7.17 फीसदी घटकर 3771.31 करोड़ और शुद्ध लाभ 80.78 फीसदी घटकर 68.10 करोड़ रुपए हो गया था। लेकिन अब, जबकि इस साल की पहली तिमाही में ही कंपनी ने पिछले पूरे साल से ज्यादा मुनाफा कमा लिया है, तब उसका शेयर क्यों मरा पड़ा है?
ऐसा भी नहीं कि इंडिया सीमेंट्स कोई मरियल व गुमनाम कंपनी हो या इसके प्रवर्तकों पर कोई दाग लगा हो। अरे, इसके प्रवर्तक और प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवासन को बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) में शशांक मनोहर की जगह अगला अध्यक्ष चुना जा चुका है। वे अभी बीसीसीआई के सेक्रेटरी हैं। उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स लगातार दो बार से आईपीएल की चैम्पियन रही है। सीमेंट में भी उनका धंधा जमा-जमाया है। देश के आजाद होने से एक साल पहले 1946 में बनी कंपनी है। बता दें कि सीमेंट संयंत्र लगाना और चलाना आसान काम नहीं है। इस उदयोग में एंट्री बैरियर काफी तगड़े हैं।
हालांकि श्रीनिवासन का कहना है कि सीमेंट उद्योग एक तरह के दबाव में है। निकट भविष्य में इसमें ज्यादा मांग नहीं निकलने वाली है। लेकिन वे सीमेंट के दाम नहीं घटाने जा रहे। उनका कहना है कि दो साल पहले उनकी कंपनी 280 रुपए प्रति किलो के भाव पर सीमेंट बेच रही थी। अब 290 रुपए प्रति किलो के भाव बेच रही है। इसमें इसे कोई कैसे घटा सकता है? दूसरी बात उनका कहना है कि कंस्ट्रक्शन की लागत का महज 12 फीसदी सीमेंट का होता है। इसलिए सीमेंट के दाम की वजह से कंस्ट्रक्शन उद्योग में सुस्ती की बात वाजिब नहीं है।
खैर, जो भी हो। इंडिया सीमेंट मौजूदा भावों पर निवेश का आकर्षक अवसर पेश कर रही है। स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 4.39 रुपए है। इस तरह इसका शेयर अभी 15.39 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू ही 115.23 रुपए है जो उसके मौजूदा बाजार भाव से लगभग दोगुनी है। ऐसे में इसमे निवेश करना मुझे तो बड़ा सुरक्षित लग रहा है। लेकिन क्या करें? यह सब धारणाएं आदर्श स्थितियों में चलती है। अपना बाजार यकीकन आदर्श स्थितियों से बहुत-बहुत दूर है। यहां शेयरों के भाव कंपनियों की मूलभूत ताकत व भावी नजरिए से नहीं, बल्कि ऑपरेटरों के गेम से तय होते हैं। सैकड़ों अच्छी-खासी कंपनियों के शेयर मरी-गिरी हालत में पड़े हैं।
इंडिया सीमेंट्स की कुल इक्विटी 307.18 करोड़ रुपए है। इसका 70.17 फीसदी पब्लिक और 25.35 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि 4.48 फीसदी शेयर कस्टोडियन के पास पड़े हैं। एफआईआई के पास कंपनी के 26.34 फीसदी और डीआईआई के पास 17.65 फीसदी शेयर हैं। जून तिमाही के दौरान एफआईआई ने कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है, जबकि डीआईआई ने घटाया है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1.08 लाख से ज्यादा है जिसमें से 1.03 लाख छोटे निवेशक हैं। 15 बड़े शेयरधारकों के पास उसकी 36.73 फीसदी इक्विटी है। इनमें एलआईसी (6.72 फीसदी), त्रिशूल इनेवेस्टमेंट्स (5.71 फीसदी), एचएसबीसी ग्लोबल मॉरीशस (3.27 फीसदी), बजाज एलियांज (1.48 फीसदी), फ्रैंकलिन टेम्प्लेटन (4.04 फीसदी), रिलायंस लाइफ (1.48 फीसदी) और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (1.12 फीसदी) शामिल हैं।