सीईएससी उतरी आसमां से ज़मीं पर

यूं तो शेयरों के भाव वर्तमान को नहीं, हमेशा भविष्य को पकड़कर चलते हैं। लेकिन किसी कंपनी के भविष्य का आकलन इतना आसान नहीं होता। गहरी रिसर्च और जासूसी का काम होता है यह। फिर भी कभी-कभी कंपनी का अतीत और वर्तमान ही इतना मजबूत होता है कि भविष्य से बेफिक्र होकर उसमें निवेश किया जा सकता है। सीईएससी लिमिटेड का मामला कुछ ऐसा ही है। आरपीजी समूह की कंपनी है। 1899 में गठित हुई। तब से लेकर अब तक 111 सालों से बिजली के धंधे में है। कोलकाता व हावड़ा के 24 लाख ग्राहकों को बिजली सप्लाई करती है।

वह खुद बिजली बनाती भी है। कुल 1225 मेगावॉट क्षमता के उसके चार ताप विद्युत संयंत्र हैं। साल भर पहले ही उसने बजबज में 250 मेगावॉट का नया संयंत्र चालू किया है। कंपनी अभी बिजली की दो नई परियोजनाओं पर काम कर रही है। हल्दिया (पश्चिम बंगाल) में पहले चरण में 600 मेगावॉट की ताप विद्युत परियोजना लगा रही है जिसे 2014 तक चालू करने का लक्ष्य है। इतनी ही क्षमता की दूसरी ताप विद्युत परियोजना वह चंद्रपुर (महाराष्ट्र) में लगा रही है जिसको इससे एक साल पहले 2013 में चालू कर देने की योजना है।

कंपनी इनके अलावा छह अन्य परियोजनाएं लगाने के विभिन्न चरणों में है। इनके पूरा होने पर 2018 तक उसकी कुल क्षमता 8285 मेगावॉट हो जाएगी। इन सभी परियोजनाओं के लिए उसे बड़ी मात्रा में कोयले की जरूरत पड़ेगी। इसलिए वह इंडोनेशिया व कुछ अफ्रीकी देशों में खनन कंपनियों से हाथ मिलाने की कोशिश में है ताकि कोयले की आपूर्ति निर्बाध रूप से मिलती रहे। वह पहले से ही इन देशों में अपनी सहयोगी इकाइयों के जरिए मौजूद भी है। कंपनी भविष्य में जल विद्युत (300 मेगावॉट) और सौर ऊर्जा (25 मेगावॉट) में उतरने जा रही है।

यह तो हुई सीईएससी के भविष्य की धुंधली तस्वीर। लेकिन नोट करने की बात यह है कि उसका शेयर (बीएसई – 500084, एनएसई – CESC) इस समय तलहटी पर है। कल 19 जनवरी 2011 को यह नीचे में 315 रुपए तक चला गया जो 52 हफ्ते का इसका न्यूनतम स्तर है। वैसे, कितना अजीब संयोग है कि ठीक साल भर पहले 19 जनवरी 2010 को इसने 448 रुपए पर 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर हासिल किया था। तारीख एक, लेकिन शेयर टॉप से बॉटम, आसमां से जमीं पर!

खैर, शेयर कल नई तलहटी बनाने के बाद बीएसई में 322.75 रुपए पर बंद हुआ है। लेकिन इसकी बुक वैल्यू इससे ज्यादा 326.59 रुपए है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 37.40 रुपए है और उसका शेयर इससे मात्र 8.63 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। मुझे नहीं लगता कि इससे ज्यादा पुख्ता आधार किसी कंपनी में निवेश का हो सकता है।

कंपनी की कुल इक्विटी 124.94 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 52.49 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। एफआईआई के पास इसके 19.43 फीसदी तो डीआईआई के पास 16.62 फीसदी शेयर हैं। गोल्डमैन सैक्श, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एलआईसी, एसबीआई मैग्नम, टाटा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और सिंगापुर सरकार इसके बड़े निवेशकों में शामिल हैं। कंपनी पिछले तीन सालों से लगातार प्रति शेयर 4 रुपए (40 फीसदी) लाभांश दे रही है। इससे पहले के दो सालों में लाभांश की दर 2.50 व 3.50 रुपए प्रति शेयर थी।

हां, अंत में एक बात और। बर्जर पेंट्स (बीएसई – 509480) अभी 99.95 रुपए पर है। उस्ताद लोग बताते हैं कि वे इसे 106 रुपए तक ले जाएंगे। वैसे, बर्जर पेंट्स को हमने पहली बार 13 मई 2010 को तब खरीदने की सिफारिश की थी जब यह 60-61 रुपए पर चल रहा था। इसके बाद 16 सितंबर 2010 को यह 123 रुपए तक जा चुका है।

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