कोयले की लीपापोती में जुटी सरकार, बोली: राज्य बनाएं निगरानी समिति

एक तरफ देश के शीर्ष ऑडिटर, नियंत्रण व महालेखापरीक्षक (सीएजी) इस बात अडिग हैं कि कोयला ब्लॉकों को नीलामी के बजाय सीधे-सीधे आवंटित किए जाने से देश को 10.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, भले ही वे इसे घुमाकर कहनेवाले हों कि इससे कंपनियों को 10.7 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार मामले की लीपापोती में जुटी है।

केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल तो नेपथ्य में चले गए हैं। उनकी जगह कोयला राज्यमंत्री प्रकाशबापू पाटिल ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को आवंटित 195 कोयला ब्लॉकों में से 25 कोयला ब्‍लॉकों का आवंटन रद्द किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आवंटन पत्र की शर्तों में स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि कोयला ब्‍लॉकों के विकास और उसके अंतिम उपयोग वाली परियोजना को स्‍थापित करने में जान-बूझकर की गई देरी की स्थिति में सरकार उस ब्‍लॉक का आवंटन रद्द कर सकती है। इसी के तहत अब तक 25 कोयला ब्‍लॉकों और दो लिग्नाइट ब्लॉकों का आवंटन रद्द किया गया है।

राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति बनाएं, जो कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों के विकास के काम पर बराबर नजर रखे। साथ ही कोयला नियंत्रण कार्यालय भी इन पर नजर रखता है। जहां कहीं भी सरकार को देरी का पता चलता है, वो ऐसे आवंटियों को चेतावनी के साथ कारण बताओ नोटिस जारी करती है। कारण बताओ नोटिस के जवाब के आधार पर सरकार आवंटन को रद्द या किसी दूसरे को देने का फैसला लेती है।

कोयला राज्‍यमंत्री के मुताबिक निर्धारित दिशा-निर्देशों के मुताबिक कोयला खदानों को विकसित करने और तय प्रगति हासिल करने की जिम्मेदारी उस कंपनी की है, जिसे कोयला खदान का आवंटन किया गया है। साथ ही आवंटी को बैंक गारंटी की रकम भी जमा करनी होगी, जो कोयला खदान में उत्पादन शुरू होने और इसके उच्चतम स्तर पर पहुंचने तक हमेशा वैध रहेगी।

उन्होंने बताया कि कुल 195 कोयला ब्लॉकों में से 29 कोयला ब्लॉकों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। साथ ही आवंटित 28 लिग्नाइट ब्लॉकों में से 12 ब्लॉकों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। बचे हुए कोयला ब्लॉक, जहां अभी तक उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, वे अभी वैधानिक अनुमति हासिल करने के विभिन्न चरण में है। 195 कोयला ब्‍लॉकों में से 3 कोयला ब्‍लॉक संयुक्‍त रूप से सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की कंपनियों को आवंटित किए गए हैं। इन 3 कोयला ब्‍लॉकों में से दो ओ‍डीशा में और एक छत्‍तीसगढ़ में स्थित है।

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