सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और एंट्रिक्स व निजी फर्म देवास मल्टीमीडिया के बीच हुए एस-बैंड स्पेक्ट्रम के विवादास्पद करार को रद्द कर दिया है। आज, गुरुवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह फैसला अंतरिक्ष आयोग की संस्तुति के आधार पर किया गया है।
गुरुवार को सीसीएस की बैठक खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई। प्रधानमंत्री ने कल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादकों से साथ हुई बातचीत में इस बात से साफ इनकार किया था कि एंट्रिक्स के साथ एस-बैंड स्पेक्ट्रम लीज पर दिए जाने के बारे में हुए विवादास्पद सौदे पर उनके कार्यालय ने देवास मल्टीमीडिया के साथ बातचीत जारी रखी। उन्होंने कहा था कि पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) ने अंतरिक्ष आयोग द्वारा जुलाई 2010 में लिए गए फैसले को हल्का करने का कोई प्रयास नहीं किया है।
यह मामला 70 मेगाहर्ट्ज के ज्यादा के एस-बैंड स्पेक्ट्रम निजी कंपनी को 1000 करोड़ रुपए में देने का है। नियंत्रक व महालेखापरीक्षक (कैग) इसके खिलाफ जांच शुरू कर चुका है। कैग के हवाले ही इस तरह के अनुमान व्यक्त किए गए हैं कि इस करार से देश को 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। खैर, अब यह करार रद्द हो गया है तो बस कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। साथ ही इससे सरकार के पास दो लाख करोड़ रुपए की नई आस्तियां का पता चल गया है।
कैग के हवाले नुकसान की खबरें सामने आने के बाद सरकार और इसरो दोनों ने कहा था कि करार की समीक्षा पहले से ही की जा रही थी और सौदे को निरस्त करने का कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है। आज सीसीएस ने अंतिम सरकारी मोहर लगाकर इस करार को हमेशा-हमेशा के लिए दफ्न कर दिया।