नांव डांवाडोल, हर डुबकी पर दांव

बाजार डांवाडोल है। कभी इधर तो कभी उधर भाग रहा है। यह 2008 में लेहमान के संकट के बाद की स्थिति का दोहराव है। उस वक्त भी सारे पंटर और बाजार के पुरोधा कह रहे थे कि सेंसेक्स 6000 तक चला जाएगा। अक्सर लोगबाग टीवी स्क्रीम पर आ रही कयासबाजी देखते हैं और मान बैठते हैं कि जैसा कहा जा रहा है, वैसा ही होगा। लेकिन वे एनालिस्टों की चालाकी पर गौर नहीं करते हैं जो कहते हैं कि ऐसा हो सकता है। असल में, दुनिया का कोई शख्स सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि यह बाजार की तलहटी होगी और यह शिखर। कभी-कभी धुप्पल लग सकती है। लेकिन इसे नियम नहीं माना जा सकता। खैर, मैं इन सारी चीजों की व्याख्या में पड़कर अपने दायरे से बाहर जा रहा हूं।

बहुत से लोग मानते हैं कि जब तक संसद में गतिरोध चलता रहेगा, तब तक वे बाजार पर चोट करते रहेंगे और इसे गिराकर 17,000 अंक तक ले जाएंगे। भारत के शेयर बाजार में 7 फीसदी और इंडोनेशिया के शेयर बाजार में 8 फीसदी गिरावट आ चुकी है। ये दोनों ही उभरते हुए देश हैं जहां मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है। लेकिन भारत में तरलता की स्थिति इतनी नहीं बिगड़ी है कि उसे संभाला न जा सके। इसलिए यह मेरी समझ से बाहर है कि एफआईआई क्यों नकारात्मक हुए जा रहे हैं।

बाजार में अगर 5-6 फीसदी की और गिरावट भी आ जाए तब भी मैं बिकवालों का खेमा नहीं पकडूंगा। हम बार-बार बता चुके हैं कि हमारी नीति हर गिरावट पर खरीदने और शॉर्ट सेलिंग से कमाई न करने की है। लेकिन निवेश करनेवाला हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता। कुछ उदासीन रहते हैं, कुछ सुस्त होते हैं। कुछ तेज चलते हैं, कुछ धुन के पक्के होते हैं और कुछ को जोखिम उठाने में मजा आता है। अगर आप पूरे आश्वस्त न हो तो आपको क्रिकेट टीम का बारहवां खिलाड़ी बन जाना चाहिए और अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए। फिर भी जिन्हें लगता है कि हमारी कॉल सही नहीं हैं और बाजार को केवल नीचे ही जाना है, वे उल्टी रणनीति अपना कर कमाई कर सकते हैं। अपना दिमाग लगाइए। दूसरी दिशा पकड़कर जोखिम उठाइए और उन्हीं स्टॉक्स को बेच डालिए जिन्हें हम खरीदने को कह रहे हैं। हम तो भगवान से यही प्रार्थना कर सकते हैं कि वह आप पर कृपा बनाए रखे।

एक बात साफ जान लें कि इक्विटी या शेयरों में हमेशा जोखिम रहता है। यहां हमेशा दोनों तरह की राय आती है। यह बाजार उन लोगों के लिए है जो जोखिम उठाकर कमाना चाहते हैं। हालांकि हो सकता है कि अंततः उन्हें नुकसान उठाना पड़े। फ्यूचर्स में ट्रेडिंग की वैज्ञानिक पद्धति ही आपको सहारा दे सकती है। जीएस (राधाकृष्ण दामाणी या ओल्ड फॉक्स) ने लेहमान संकट के समय 4500 करोड़ रुपए कमाए थे। लेकिन जब बाजार ने पलटी खाई तो इसका ज्यादातर वे हिस्सा गंवा बैठे।

हम ब्रोकर नहीं हैं जो हमें हर दिन, हर पल आपसे ट्रेड कराना है। फिर भी हमारा काम खरीद या बिक्री की कॉल देना है ताकि आप बाजार का ऊंच-नीच समझकर निवेश का रणनीति सीख सकें। हम चुन-चुनकर मजबूत फंडामेंटल वाले स्टॉक्स आपके लिए पेश करते हैं। अच्छी कंपनियों से आपका परिचय कराते हैं। आखिरी बात यह कि हम अब भी मानते हैं कि बाजार 23,000 अंक के ऊपर जाएगा और हर गिरावट निवेश का शानदार मौका दे रही है।

हर दिन पिछले दिन से अलग है। हम आज जो देख रहे हैं, हो सकता है कि वो कल हो न हो।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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