बीएसई को एसएमई एक्सचेंज लाने के लिए दिखाई सेबी ने हरी झंडी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को लघु व मध्यम स्तर की कंपनियों (एसएमई) के लिए अलग एक्सचेंज शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बीएसई के प्रबंध निदेशक व सीईओ मधु कन्नन ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा, “हमें खुशी है कि सेबी से हमें लघु व मध्यम उद्यमों के लिए नया एक्सचेंज शुरू करने का सैद्धांतिक अनुमोदन मिल गया है। यह भारत के निवेशकों को बेहतर उत्पाद व सेवाएं देने की हमारी रणनीति का हिस्सा है।”

उनका कहना था कि यह कदम वित्तीय समावेश बढ़ाने के सरकारी एजेंडा को भी आगे बढ़ाएगा। इससे संभावनामय उद्यमों को भविष्य में पूंजी बाजार का सहारा लेने में मदद मिलेगी। कन्नन के मुताबिक एसएमई एक्सचेंज को जल्दी से जल्दी लांच कर दिया जाएगा।

बता दें कि बीएसई में इस एक्सचेंज को लांच करने की तैयारियां पिछले छह महीनों से चल रही हैं। इस क्रम में एसएमई क्षेत्र के उद्यमियों के बीच बराबर रोड-शो किए गए हैं। इसके प्रचार-प्रसार व स्वीकृति के लिए एक्सचेंज ने कई टेलिविजन कार्यक्रम भी आयोजित करवाए हैं। एसएमई एक्सचेंज कैसा होना चाहिए, वहां क्या-क्या सहूलियतें होनी चाहिए, इस बारे में बीएसई ने निवेशकों, लघु व मध्यम इकाइयों, मर्चेंट बैंकरों व ब्रोकरों के बीच रायशुमारी भी कराई है।

गौरतलब है कि देश के औद्योगिक उत्पादन से लेकर निर्यात तक में सबसे ज्यादा योगदान लघु व मध्यम इकाइयों का है। सरकार ने इनके प्रोत्साहन के लिए अलग से एमएसएमई मंत्रालय (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय) तक बना दिया है। लेकिन इन इकाइयों को न तो बैंकों से आसान शर्तों पर कर्ज मिल पाता है और न ही ये पूंजी बाजार का सहारा ले पाती हैं। कई सालों पहले इनके लिए ओटीसी एक्सचेंज ऑफ इंडिया बनाने की पहल की गई थी। लेकिन वह प्रयोग पूरी तरह फेल हो गया।

अब सेबी व सरकार ने इस बाबत नई पहल की है। एसएमई एक्सचेंज के लिए सेबी साल भर पहले 17 मई 2010 को विस्तृत सर्कुलर जारी कर चुकी है। लेकिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अपनी सत्ता में इतना मस्त है कि उसने इसकी कोई परवाह नहीं की। बीएसई ने इस पर जरूर गंभीरता दिखाई है। वैसे, बीएसई और भी कई सकारात्मक पहल कर चुका है। जैसे, स्टॉक डेरिवेटिव सौदों में वह फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू कर चुका है। स्मार्ट ऑर्डर रूटिंग (एसओआर) की प्रणाली वह अपना चुका है। वह वेब-आधारित आईपीओ सेवाएं शुरू कर चुका है। मोबाइल पर ट्रेडिंग की सुविधा भी वह दे चुका है।

असल में बीएसई देश में 136 साल पहले 1875 में बना सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। लेकिन 1992 में एनएसई के आने के बाद वह अपनी प्रभुता को बनाए नहीं रख सका और अब कारोबार की मात्रा के बारे में एनएसई से काफी पीछे छूट गया है। नई-नई पहल से बीएसई के नए सीईओ मधु कन्नन उसकी खोई साख को फिर से हासिल करने में जुटे हुए हैं।

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