बिलकेयर ने तो किया कमाल!!

हमने इसी कॉलम में 6 अगस्त की सुबह बाजार खुलने से पहले जब बिलकेयर लिमिटेड (बीएसई कोड – 526853) के बारे में लिखा था, तब पिछली शाम 5 अगस्त, गुरुवार को उसका बंद भाव 474.30 रुपए था। तब तक उसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 600 रुपए था और एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की रिसर्च रिपोर्ट के हवाले हमने बताया था कि यह शेयर एक साल के भीतर 615 रुपए तक जा सकता है। लेकिन इसमें तो कमाल हो गया। आज 19 अक्टूबर को इसने 751.70 रुपए तक जाकर 52 हफ्ते की नई चोटी बना ली है। फिलहाल खबर लिखे जाने के वक्त वह 739.60 रुपए चल रहा है।

इस तरह अगर आपने इसमें 6 अगस्त को निवेश किया होता तो आपको करीब दो महीने के भीतर लगभग 58 फीसदी का रिटर्न मिल गया होता। इस सूचना के जरिए हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि औरों की तरह हम टिप्स या कानाफूसी पर सलाह नहीं देते। हम कंपनी के मूलाधार और भावी संभावनाओं के आधार पर निवेश की सलाह देते हैं। ये संभावनाएं शेयर के भाव में देर-सेबर जाहिर होती हैं। लेकिन कब ऐसा होगा, इसका कोई सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता है।

फिर, अनुमान तो अनुमान ही होता है। मैं लगाऊं या आप लगाएं। कल को असल में क्या होता है, यह तो बहुत सारे कारकों पर निर्भर होता है। आम जीवन का यह सच शेयर बाजार पर भी लागू होता है। जैसे, जीवन में जोखिम है, वैसे ही शेयर बाजार में भी जोखिम होता है। हां, बाजार में खरीदनेवालों और बेचनेवालों के बीच का संतुलन काम करता है। लेकिन अच्छी चीज पर नजर पड़ जाए और वह वाजिब दाम में मिल रही हो तो छोटा-बड़ा हर कोई उसे खरीदने के लिए दौड़ पड़ता है।

हम कोशिश करके ऐसे ही शेयर आपके लिए ढूंढकर लाते हैं। इसके लिए अपने विश्लेषण और दूसरों की रिसर्च रिपोर्टों का सहारा लेते हैं। औरों की सारी रिपोर्ट नहीं देते क्योंकि ब्रोकरेज हाउसों की तरफ से जारी ऐसी रिपोर्टों में पूर्वाग्रह या निहित स्वार्थ के होने की बड़ी गुंजाइश रहती है। इसलिए उनका सार-सार ग्रहण कर हम थोथी बातों को उड़ा देते हैं। आप भी ऐसा कर सकते हैं। मैं कुछ बताऊं, आप भी थोड़ी मेहनत करो। नेट पर खोजकर देखें कि उस कंपनी के बारे में और क्या-क्या उपलब्ध है। बीएसई व एनएसई से बहुत कुछ मिल जाता है।

असल में निवेश की कला इसी तरह सीखी जाती है। निवेश का विज्ञान रिसर्च से मिलता है तो उसकी कला अभ्यास और धैर्य से आती है। कितना जोखिम हम उठा सकते हैं, हमारा रिस्क प्रोफाइल कितना है, इसे समझने से आती है। आखिर में, इतनी बात कि आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें। लेकिन कान इतना खुला रखें कि छोटी-छोटी सी बात भी पकड़ में आ जाए।

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