इतने डॉलर निकले तो रुपया खोखला

वित्त मंत्रालय की तरफ से मिल रहे संकेत कतई अच्छे नहीं है। उसका साफ कहना है कि वह रुपए की गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकता। मतलब यह कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का नुकसान जारी रहेगा और बाजार से भागने की फिराक में लगे रहेंगे। इसलिए बाजार में फिलहाल स्थायित्व आने की गुंजाइश नहीं दिखती है।

इस बीच हमारे वाणिज्य सचिव स्वीकार कर चुके है कि निर्यात के आंकड़ों में 9 अरब डॉलर की गड़बड़ी हुई है। लेकिन कहा जा रहा है कि यह बोगस निर्यात का मामला है। इसमें बहामास जैसे कर-मुक्त देशों से आया भारतीयों का काल धन शामिल है। यह अगस्त में अचानक रुपए पर शुरू हो गए हमले का राज़ खोल देता है। मैंने उस वक्त ही कहा था कि सिस्टम से भारी मात्रा में अमेरिकी डॉलर निकाले गए हैं। लेकिन रिजर्व बैंक अभी तक पकड़ नहीं सका है कि किसने ऐसा किया। वास्तव में हमें अपनी तहकीकात से पता चला है कि ऐसा देश में सक्रिय बहुराष्ट्रीय बैंकों के जरिए किया गया।

इतना तय है कि देश से बाहर गया धन किसी न किसी रूप में वापस आएगा। लेकिन कब? इस पर अभी सवालिया निशान लगा है। लेकिन यह रुपए से लेकर शेयर बाजार तक की तलहटी का फैसला करेगा। हाल-फिलहाल बैंकरों का अनुमान है कि रुपया प्रति डॉलर 55 या 57 रुपए तक भी जा सकता है। कुछ हलकों में तो इसके 65 रुपए तक गिर जाने की बात हो रही है जो बेहद अतिरंजित और नामुमकिन लगती है।

मुद्रास्फीति अपेक्षा के अनुरूप नीचे नहीं आई। नवंबर में सकल मुद्रास्फीति की दर 9.11 फीसदी रही है। इससे लगता है कि रिजर्व बैंक परसों ब्याज दरों में कमी नहीं करेगा। लेकिन वह इसे बढ़ाएगा भी नहीं। गौर करने की बात यह है कि हम से कहीं ज्यादा आबादी वाला पड़ोसी देश चीन साबित कर चुका है कि ज्यादा खर्च के बावजूद वह विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकता है, ब्याज दरों को घटा सकता है और दुनिया की होड़ में बना रह सकता है। लेकिन हम न तो मुद्रास्फीति पर काबू पाने की स्थिति में हैं और न ही ब्याज दरें घटाने की। ऐसे में एकदम तय हो गया है कि हमारे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर जल्दी ही घटकर 6.2 फीसदी पर आ जाएगी।

कॉरपोरेट क्षेत्र से लेकर निवेशकों व आम लोगों में पूरी तरह असंतोष छा गया है। उन्हें लगता है कि वित्त मंत्रालय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए वाजिब कदम नहीं उठाएगा। वैसे भी, समूचे देश का मसला हो तो विदेश में होनेवाले डिफॉल्ट या विदेशों में हो रहे मुद्रा के उतार-चढ़ाव को दोष देने से कुछ नहीं मिलेगा। अगर चीन ऐसी ही स्थितियों को संभाल सकता है तो भारत क्यों नहीं? दरअसल, 2008 में भारत ने दिखा दिया था कि हम हालात को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं और हमने ऐसा किया भी। फिर, हम इस बार क्यों नाकाम हो रहे हैं? यह अपने आप में सोचने का एक अलग मसला है।

खैर, मैं कल तक तेजी का धारणा रखे हुए था। लेकिन आज मुद्रास्फीति के आंकड़े आने से पहले ही बाजार के सूत्रों ने 8.33 फीसदी की चर्चा शुरू कर दी और निफ्टी बढ़कर 4840 तक चला गया, जबकि हम 4870 और 8.8 फीसदी की आशा लगाए हुए थे। तभी हमें अहसास हुआ कि इंट्रा-डे की तेजी तो एक चाल है। हमने सभी से 4832 पर निकल जाने को कह दिया। फिर आपसे कहा कि आप शॉर्ट हो जाओ। तब तक किसी ने शॉर्ट होने की शुरुआत नहीं की थी। बाजार फिर गिरने लगा तो गिरता गया। निफ्टी आखिर में 0.78 फीसदी की गिरावट के साथ 4763.25 पर बंद हुआ।

मैं एक बार फिर दोहराना चाहता हूं कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए केवल मौद्रिक उपायों पर भरोसा करना ठीक नहीं है। तर्कसंगत व्यवहार और सप्लाई को दुरुस्त करना अहम सूत्र है। रूढ़िवादी अर्थशास्त्री हमेशा सप्लाई के पक्ष पर भरोसा किया करते थे। इधर जटिल संरचना और बिना कोई उपयुक्त बचाव किए बहुत तेजी से कमोडिटी व मुद्रा व्यापार को खोल दिया गया। इससे आधुनिक आर्थिक चिंतन प्रणाली की कमियां उजागर हो गई हैं। वक्त ने साबित कर दिया है कि धांधलेबाज़ किसी भी अच्छे सिस्टम की धज्जियां बिखेर सकते हैं।

निफ्टी में समर्थन का स्तर 4725 पर है। अगर यह टूट गया तो हम 4665 तक जा सकते हैं और तब 4450 तक गिरने की ढलान शुरू हो जाएगी। लेकिन बाजार के उठने के लिए भी तैयार रहें। यह पहले 5133 तक जाएगा और उसके बाद 5500 होगी इसकी मंजिल।

ट्रेडिंग में सफलता के लिए बहुत बड़ा मुकद्दर होना चाहिए। कुछ लोग का मुकद्दर इतना अच्छा होता है कि उनमें जन्मजात समझदारी होती है। लेकिन कुछ लोग इतने समझदार होते हैं कि वे अपना मुकद्दर खुद ही लिख डालते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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