सोने के भाव चढ़ने से कोलार खदानों में सांस, बिकेगी भारत गोल्ड माइंस!

सोने के भाव 28000 रुपए प्रति दस ग्राम से ऊपर पहुंच जाने के बाद अब कोलार स्वर्ण खदानों को फिर से खोलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि सरकार इन खदानों को संचालित करनेवाली बीमार घोषित कंपनी भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड को बेच सकती है। इस बाबत अगले महीने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आनेवाला है। कर्नाटक में बैंगलोर से करीब 120 किलोमीटर स्थित इन खदानों को एक दशक पहले 2001 में इसलिए बंद कर दिया गया था क्योंकि वहां से प्रति दस ग्राम सोना निकालने की लागत 20,000 रुपए आ रही थी, जबकि बाजार में सोने का भाव तब 4500 ग्राम प्रति दस ग्राम था।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की दिलचस्पी कोलार की स्वर्ण खदानों में बढ़ने लगी है। ऐसे ही निवेशक हैं 60 साल के खनन इंजीनियर रिचर्ड जॉनसन जो 40 सालों से दक्षिण अफ्रीका लेकर ऑस्ट्रेलिया तक में सोने का खनन करते रहे हैं। उनका कहना है कि, “कोलार गोल्ड फील्ड्स को कोई दोबारा चला सकता है तो वह मैं ही हूं।” उनकी कंपनी का नाम कोलार गोल्ड है। इन कंपनी का मूल्यांकन लगभग 4 करोड़ डॉलर (190 करोड़ रुपए) है। जॉनसन कोलार खदानों को खरीदने की बोली लगाने को तैयार हैं।

मालूम हो कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। पिछले साल हमने 958 टन सोना आयात किया. था। अनुमान है कि भारतीय उपभोक्ता हर साल कुल मिलाकर 800 टन से ज्यादा सोना खरीदते हैं। इसमें से केवल दो से तीन टन सोना ही देश में निकलता है। इसका भी अधिकांश हिस्सा कर्नाटक में कोलार के उत्तर में स्थित हट्टी की स्वर्ण खदानों से निकलता है।

कोलार की खदानों की मालिक 1956 में इसके राष्ट्रीयकरण के बाद से ही भारत गोल्ड माइंस है। अगले महीने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है जिससे तय होगा कि इस कंपनी को बेचने के लिए वैश्विक टेंडर मंगाए जाने हैं या नहीं। एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अदालत में होनी है।

गौरतलब है कि कोलार में सोने का खनन ब्रिटिश शासन के दौरान 1802 में ही शुरू हो गया था। फिर तो वहां आसपास खान मजूदरों की बस्तियां बसती चलीं गईं। पूरा शहर बस गया। लेकिन अब वहा मायूसी छाई है। लोग बैंगलोर तक काम की तलाश में भटकते हैं जहां महीने में आने-जाने पर 500 रुपए का खर्च उनकी कमाई में सेंध लगा देता है। अच्छे दिनों में इन खदानों के एक टन की चट्टान से 42 ग्राम सोना निकलता था। मजदूर लोग साढ़े तीन किलोमीटर (11,500 फीट) नीचे उतरकर स्वर्ण अयस्क निकालते हैं जहां तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक रहता था। ऊपर से धरती के भीतर हर 100 फीट पर तापमान एक डिग्री बढ़ता जाता था।

लेकिन अब इन विषम हालात के साथ वहां की जिंदगी भी ठहर गई है। भारत गोल्ड माइंस के पूर्व कर्मचारियों के प्रतिनिधि जी जयकुमार का कहना है, “हम सभी रिफ्यूजियों की जिंदगी जी रहे हैं। पूरा शहर भुतहा बन चुका है। लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।” हालांकि सोने के दाम बढ़ने से अब अंतरराष्ट्रीय बाजार कोलार की इन स्वर्ण खदानों की किस्मत का फैसला कर सकता है।

इस शहर के विकल्पों पर विचार करने के लिए सरकार द्वारा गठित एक समिति के सदस्य राजीव गौड़ा का कहना है, “सोने के दाम नाटकीय अंदाज में बढ़ गए हैं। टेक्नोलॉजी विकसित हो गई है। अगर आप लोगों को लगाकर सोना निकाल सकते हैं तो कोलार गोल्ड फील्ड्स अब भी मूल्यवान है।” अगर यह खदान बेची जाती है तो पहला प्रस्ताव देशी कंपनियों को दिया जाएगा। उसके बाद ही विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती हैं। सरकार ने इसका आरक्षित मूल्य भी तय कर रखा है। लेकिन वो अभी तक गोपनीय है।

खदान की मौजूदा मालिक भारत गोल्ड माइंस की आस्तियों में 12,500 एकड़ जमीन के साथ संयंत्र व मशीनरी शामिल है। उसके पास पांच स्टेशनों का नेटवर्क है और अंग्रेजों के समय बनाया गया एक रेल लिंक भी है जो पूर्वी समुद्री छोर पर चेन्नई से जाकर मिलता है। लेकिन कंपनी के ऊपर करीब 1400 करोड़ रुपए का सरकारी कर्ज भी है क्योंकि उसे उत्पादन लागत से बेहद कम मूल्य पर सोना बेचना पड़ता था। खरीदारों का कहना है कि सरकार को यह कर्ज माफ कर देना चाहिए। लेकिन स्वर्ण भंडार की कीमत को देखते हुए सरकार शायद ऐसा न करे।

भारत गोल्ड माइंस को 1992 में ही बीमार कंपनी घोषित कर दिया गया था। सरकार के पास इस कंपनी को चलाने के लिए न तो इच्छाशक्ति है न ही वाजिब टेक्नोलॉजी। लेकिन एक आकलन के अनुसार खदान में जमी धूल में ही 20 टन सोना हो सकता है। कोलार गोल्ड के प्रमुख जॉनसन का कहना है कि इस धूल से सोना निकालने का खर्च करीब 10 करोड़ डॉलर होगा, जबकि इससे मिले सोने का मूल्य 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा जमीन के नीचे जो सोना छिपा है, वह अलग। कोलार गोल्ड के अपने सर्वेक्षण के मुताबिक वहां की स्वर्ण अयस्क चट्टानों में प्रति टन 10 ग्राम से लकर 160.2 ग्राम सोना पाया जा सकता है। उसका यह भी आकलन है कि भारत गोल्ड माइंस के पास कुल लगभग 280 टन सोना हो सकता है।

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