हमारे शेयर बाजार और शेयरों का हाल निराला है। ठीक जिस दिन रेजिन निर्माता कंपनी भंसाली इंजीनियरिंग पॉलिमर्स के खिलाफ उसके आम शेयरधारकों ने कंपनी लॉ बोर्ड (सीएलबी) में धांधली व वित्तीय अनियमितता का मामला दर्ज कराया और सीएलबी ने अंतरिम राहत के तौर पर प्रवर्तकों की सहयोगी कंपनी जागृति रेजिंस का नाम कंपनी रजिस्ट्रार, मुंबई के रिकॉर्ड से निकाल देने को कहा, उसी दिन भंसाली इंजीनियरिंग का शेयर बीएसई में 15.95 फीसदी और एनएसई में 16.45 फीसदी बढ़कर 26.90 रुपए पर पहुंच गया।
जी हां, यह सारा वाकया सोमवार 12 सितंबर का है जब यूरोपीय संकट के सदमे में सेंसेक्स 2.17 फीसदी और निफ्टी 2.23 फीसदी टूटा है। यही नहीं, भंसाली इंजीनियरिंग में सोमवार को बीएसई में पिछले दो हफ्ते के औसत 91,000 के विपरीत 2.28 लाख शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 19.75 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में इसके 3.67 लाख शेयरों में ट्रेडिंग हुई जिसमें से 22.64 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
पूरा मामला यह है कि भंसाली इंजीनियरिंग के प्रवर्तकों की एक सहयोगी कंपनी है जागृति रेजिंस प्रा. लिमिटेड जिसके पास भंसाली इंजीनियरिंग के 5 फीसदी शेयर हैं, लेकिन प्रवर्तकों नहीं, बल्कि पब्लिक की श्रेणी में। कंपनी की एक अन्य शेयरधारक है एमकेजे एंटरप्राइसेज जिसके पास उसके 4.71 फीसदी शेयर हैं। इस शेयरधारक ने कुल अन्य शेयरधारकों के साथ मिलकर 14.89 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी के अनुरूप समर्थन हासिल कर लिया और सीएलबी में गुहार लगाई है कि भंसाली इंजीनियरिंग के कम से कम 333 करोड़ रुपए जागृति रेजिंस व प्रवर्तकों की अन्य कंपनियों में गलत तरीके से डाल दिए गए हैं, जिससे भंसाली इंजीनियरिंग के आम शेयरधारकों को नुकसान हुआ है।
सीएलबी के सामने दायर शिकायत में इन शेयरधारकों ने कहा है कि कच्चे माल की ओवर-इनवॉयसिंग और बिक्री की अंडर-इनवॉइसिंग ने प्रवर्तकों ने यह गोरखधंधा किया है। इस तरीके से उन्होंने कंपनी का धन अपनी ही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में डाल दिया है। इसके चलते भंसाली इंजीनियरिंग के शेयरधारकों को एकदम नहीं या बहुत ही कम लाभांश मिल पाया है। शेयरधारकों ने सीएलबी से मांग की है कि वह 30 सितंबर को होनेवाली सालाना आमसभा (एजीएम) में कंपनी को कोई वित्तीय प्रस्ताव पास न करने दे।
सीएलबी ने अंतरिम राहत के बतौर कहा है कि वह मुंबई के कंपनी रजिस्ट्रार से जागृति रेजिंस प्रा. लिमिटेड का नाम हटाने को कहेगा और आरोपों के संबंध में कंपनी के खातों की जांच करेगा। इस बाबत वह अगली सुनवाई कंपनी की एजीएम से दो दिन पहले 28 सितंबर को करेगा। सूत्रों के मुताबिक सीएलबी के सामने अगर आरोप सही साबित हो जाते हैं तो साफ हो जाएगा कि भंसाली इंजीनियरिंग का प्रबंधन सालों-साल से आम शेयरधारकों को उल्लू बना रहा है। नोट करने की बात है कि प्रवर्तकों ने बाजार से काफी उधार उठा रखा है। उन्होंने कंपनी में अपनी 48.89 फीसदी इक्विटी का 61.65 फीसदी (कंपनी की कुल इक्विटी का 30.14 फीसदी) हिस्सा गिरवी रखा हुआ है।
समझ में नहीं आता कि कंपनी के प्रवर्तकों की यह स्थिति और सीएलबी में मामला दर्ज होने के बावजूद उसका शेयर 20 फीसदी के सर्किट के इतने पास तक कैसे उछल गया। खबर के नाम पर उसमें सोमवार को नई सूचना इतनी है कि कंपनी ने हसमुख ठक्कर को अपना नया सीएफओ (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) नियुक्त किया है।