748 कंपनियों के स्टॉक्स पर लटकी तलवार, लाख करोड़ के शेयर गिरवी

पिछले दो हफ्तों में रेणुका शुगर्स के शेयर 40 फीसदी से ज्यादा सिर्फ इसलिए नहीं टूटे कि उसे सितंबर 2011 की तिमाही में 57.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, बल्कि इसलिए भी टूटे हैं क्योंकि प्रवर्तकों ने कंपनी में अपनी 38.06 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी का 42.03 फीसदी भाग गिरवी रखा हुआ है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के ताजा अध्ययन से खुलासा हुआ है कि ऐसी कुल 748 कंपनियां हैं जिनके प्रवर्तकों ने अपने शेयर गिरवी रखे हुए हैं। इनके गिरवी रखे शेयरों का कुल मूल्य 1.09 लाख करोड़ रुपए बनता है।

एसएमसी ग्लोबल ने अपने अध्ययन में स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड छोटी-बड़ी सभी कंपनियों को शामिल किया है। इसी मसले पर एक अलग अध्ययन रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने किया है। क्रिसिल ने इस अध्ययन में केवल उन 1214 लिस्टेड कंपनियों को शामिल किया है जिनका बाजार पूंजीकरण (शेयर का भाव X कुल जारी शेयरों की संख्या) 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। उसका निष्कर्ष है कि इनमें से 31 फीसदी कंपनियों के प्रवर्तकों ने अपने शेयरों का कोई न कोई हिस्सा गिरवी रखा हुआ है। अगर उनके कुल गिरवी रखे शेयरों का बाजार मूल्य 18 नवंबर के बंद भाव से निकालें तो यह करीब 1.10 लाख करोड़ रुपए निकलता है।

क्रिसिल के अनुसार 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बाजार पूंजीकरण वाली तीन कंपनियों – गुजरात पिपावाव पोर्ट, टाटा कॉफी व विकास डब्ल्यूएसपी, में प्रवर्तकों ने अपनी 100 फीसदी इक्विटी गिरवी रखी हुई है। वहीं एसएमसी ग्लोबल के अनुसार इसके कम बाजार पूंजीकरण वाली छह अन्य कंपनियां (स्पेंटेक्स इंडस्ट्रीज, एसएएल स्टील, गणेश बेंजोप्लास्ट, पैरामाउंट कम्युनिकेशंस व एक्सएल एनर्जी) हैं जिनके प्रवर्तकों ने अपनी पूरी हिस्सेदारी गिरवी रखी हुई है।

क्रिसिल में पूंजी बाजार के निदेशक तरुण भाटिया का कहना है कि सेबी ने हाल में दिशानिर्देश जारी कर लिस्टेड कंपनियों को प्रवर्तकों के गिरवी रखे शेयरों का प्रतिशत बताना जरूरी कर दिया है। लेकिन इसके अलावा को कोई भी कायदा-कानून ऐसा नहीं है कि जो प्रवर्तकों को यह बताना अनिवार्य करता हो कि उन्होंने धन जुटाने के लिए कितने शेयर, कितने दाम पर गिरवी रखे हैं और वे शर्तें क्या हैं जिनके बाद ऋण देनेवाला मार्जिन मांगना शुरू कर देगा। क्रिसिल का मानना है कि गिरवी रखे शेयरों के प्रतिशत के अलावा अन्य सूचनाएं भी तिमाही नतीजों के साथ घोषित की जानी चाहिए।

क्रिसिल के मुताबिक जिन लिस्टेड कंपनियों ने गिरवी रखे शेयरों की जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को दी है, उनमें से 183 कंपनियों में प्रवर्तकों ने अपने 25 फीसदी या इससे ज्यादा शेयर गिरवी रखे हैं। इनमें से भी 107 कंपनियों में प्रवर्तकों की 50 फीसदी या इससे ज्यादा शेयर हिस्सेदारी गिरवी रखी हुई है। 14 कंपनियां ऐसी हैं जिनमें प्रवर्तकों ने 90 फीसदी या इससे ज्यादा शेयरधारिता गिरवी रखी हुई है। इन कंपनियों में साफ खतरा इस बात का है कि अगर शेयरों में तय सीमा से ज्यादा गिरावट आ गई तो कंपनी प्रवर्तकों के हाथ से ही निकल सकती है। शेयर गिरवी रखने के मामले में सबसे आगे आईटी व उससे जुड़ी सेवा, इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मा व हेल्थकेयर सेक्टर की कंपनियां हैं। क्रिसिल का कहना है कि शेयर गिरवी रखने का साफ मकसद समझ पाना बहुत मुश्किल है।

क्रिसिल के ही वरिष्ठ निदेशक मुकेश अग्रवाल का कहना है कि इस साल मुद्रास्फीति, ऊंची ब्याज दरों व तेजी से बिगड़ते वैश्विक माहौल के चलते हमारे शेयर बाजार में काफी उथलपुथल रही है। इन चिंताओं में शेयरों के भाव गिरते हैं तो अपने शेयर गिरवी रखनेवाले प्रवर्तकों पर दबाव बढ़ जाता है और ऋण देनेवाले उनसे मार्जिन लेने में जुट जाते हैं। नहीं मिलने पर वे उनके गिरवी रखे शेयर बेच देते है। इससे शेयर अचानक धराशाई हो जाते हैं और रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

प्रवर्तक अपने शेयर आमतौर पर बैंकों या गैर-बैकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के पास गिरवी रखते हैं। इसमें से शेयरों के भाव गिरने पर बैंक तो ज्यादा परेशान नहीं करते। लेकिन एनबीएफसी प्रवर्तकों के सिर पर चढ़ जाती हैं। निष्कर्ष यह है कि आम निवेशकों को उन कंपनियों से बहुत सतर्क रहने की जरूरत है जिनके प्रवर्तकों ने अपने शेयर गिरवी रखे हुए हैं।

प्रवर्तकों की 100 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रखनेवाली नौ कंपनियों के नाम हमने ऊपर गिना दिए हैं। इन्हें मिलाकर कुल 102 कंपनियां हैं जिनके प्रवर्तकों ने अपनी 75 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रखी हुई है। आपकी सुविधा के लिए हम एसएमसी ग्लोबल द्वारा पेश सूची नीचे लगा रहे हैं। इसमें क्रिसिल द्वारा घोषित कंपनियों के नाम भी शामिल हैं। इनमें से कुछ नाम हैं – एडसर्व, अंसल प्रॉपर्टीज, ब्लू कोस्ट होटल्स, वेस्टर्न इंडिया शिपयार्ड, जीटीएल लिमिटेड, बिड़ला पावर, आंध्रा सीमेंट, एजीसी नेटवर्क्स, गायत्री प्रोजेक्ट्स, किंगफिशर एयरलाइंस, गति लिमिटेड, अमर रेमेडीज, मैंगलोर केमिकल्स, गुजरात एनआरई कोक, प्लेथिको फार्मा, एस्सार ऑयल, एस कुमार्स, सांघी इंडस्ट्रीज, ओमैक्स, सुबेक्स, श्री अष्टविनायक सिनेविजन, पोलर इंडस्ट्रीज, यूफ्लेक्स व गंगोत्री टेक्सटाइल्स।

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