रोलओवर और बाजार के डे-ट्रेडर

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के मसले ने बाजार को भारी आवेग दिया। इसके चक्कर में ट्रेडर ऊंचे भावों पर भारी-भरकम खरीद के सौदे कर बैठे। इसका नतीजा यह हुआ कि बाजार खुद को ऊंचे स्तर पर टिकाए नहीं रख सका। बीएसई सेंसेक्स दिन में 263.12 अंक बढ़ गया था, लेकिन बंद हुआ केवल 23.94 अंक की बढ़त के साथ।

दोनों अंबानी भाइयों की कंपनियों के शेयर कारोबारियों के पसंदीदा बने रहे। आरआईएल 1049 तक उठने के बाद 2.58 फीसदी की बढ़त के साथ 1021.45 रुपए पर बंद हुआ तो रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रा 11.35 फीसदी की बढ़त के साथ 783.55 रुपए पर। दूसरी तरफ अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल में 4.80 फीसदी, आरकॉम में 10.87 फीसदी, रिलायंस पावर में 7.86 फीसदी और आरएनआरएल में 22.58 फीसदी की शानदार वृद्धि दर्ज की गई।

खैर जो भी हो। रोलओवर के अब तीन दिन बचे हैं और इस दौरान बाजार काफी उतार-चढ़ाव भरा रहेगा। एक बात साफ है कि यह बाजार फिलहाल डे-ट्रेडरों के लिए नहीं है। हमें अगले तीन दिनों तक इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि बाजार कैसे ऊपर-नीचे हो रहा है। तब तक रोलओवर का गुबार भी थम जाएगा।

इतना तय है कि मौजूदा करेक्शन ने निफ्टी के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं। आगे-आगे देखिए, क्या होता है।

अगर सभी अर्थशास्त्रियों को इस सिरे से उस सिरे तक बैठा दिया जाए, तब भी वे किसी समान नतीजे पर नहीं पहुंच पाएंगे। संस्कृत की एक कहावत है – मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ने।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

1 Comment

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