अक्टूबर 2007 में राठी बार्स ने पब्लिक इश्यू में 35 रुपए के मूल्य पर अपने शेयर जारी किए थे। इसके बाद न तो उसने कोई डिविडेंड दिया है न ही बोनस शेयर जारी किए हैं। कंपनी की चुकता पूंजी तब भी 16.33 करोड़ रुपए थी और अब भी उतनी ही है। इसमें प्रवर्तक राठी परिवार की हिस्सेदारी 57.39 फीसदी है। लेकिन मंगलवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में उसके शेयर 17.40 रुपए पर पहुंचे तो यह उसके 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर बन गया। हालांकि वह बाद में 16.15 रुपए पर बंद हुआ जो ठीक एक दिन पहले के बंद भाव 14.50 रुपए से पूरे 11.38 फीसदी ज्यादा था।
बता दें कि कंपनी स्टील इंगट और बार बनाती है और उसके शेयर केवल बीएसई में लिस्टेड हैं। 13 अप्रैल को उसके 12.07 लाख शेयरों के सौदे हुए। इसमें से 4.40 लाख शेयरों की एकमुश्त खरीद किसी ने की है। साथ ही किन्ही तीन लोगों ने क्रमशः एक लाख, एक लाख और 1.22 लाख शेयर कंपनी के बेचे हैं। साफ है कि बडे खिलाड़ी इस शेयर मे सक्रिय हो गए हैं। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश किया जा सकता है।
कंपनी के शेयर इतने दबे हुए क्यों हैं, यह समझ में नहीं आता। उसे दिसंबर 2008 की तिमाही में 56.89 करोड़ रुपए की आय पर 88.99 लाख रुपए का घाटा हुआ था। लेकिन दिसंबर 2009 की तिमाही में उसने 53.27 करोड़ रुपए की आय पर 92.56 लाख रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। वित्त वर्ष 2008-09 में उसकी कुल आय 260.75 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 3.10 करोड़ रुपए था। इधर स्टील के दाम जिस तरह बढ़े हैं, उसे देखते हुए कंपनी को वित्त वर्ष 2009-10 में अच्छे नतीजों की उम्मीद है। कंपनी का पिछला ईपीएस 1.90 रुपए था, जिसके यकीनन इस बार ज्यादा रहने की उम्मीद है।
एक बात और है कि कंपनी में रिटेल निवेशकों की संख्या काफी है। प्रवर्तकों के हिस्से से बाकी बचे करीब 42.61 फीसदी शेयर घरेलू संस्थाओं के पास हैं। ऐसे में नए निवेशकों के लिए इसमें पैसा लगाना फायदे का सौदा हो सकता है। भले ही शेयर 52 हफ्ते के शिखर के आसपास हो, लेकिन जब इसका पब्लिक इश्यू ही 35 रुपए पर आया था, तो इतना ऊपर जाने का दमखम तो यह शेयर रखता ही है। कंपनी का लाभ मार्जिन भी अपने उद्योग में सम्मानजनक स्तर पर है। बस, एक नकारात्मक पहलू यह है कि राठी परिवार की कई सारी कंपनियां इसी क्षेत्र में हैं। वैसे, यह राठी ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा नही हैं।