यूलिप पर सेबी का नया आदेश सहमति के अनुरूप, बीमा खेमे में पूरी शांति

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी की तरफ से 14 जीवन बीमा कंपनियों को कोई भी नया यूलिप प्लान लाने से रोक दिए जाने के बावजूद न तो बीमा क्षेत्र के नियामक आईआरडीए और न ही निजी बीमा कंपनियों में कोई खलबली मची है। आईआरडीए के आला अफसर छुट्टी मना रहे हैं। जीवन बीमा कंपनियों के साझा मंच लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल की तरफ से उसके प्रमुख एस बी माथुर ने इतना भर कहा है कि मौजूदा यूलिपधारकों को राहत मिल गई और फर्क नए यूलिप उत्पादों पर पड़ेगा जिनकी संख्या ज्यादा नहीं है। बीमा उद्योग के एक उच्चपदस्थ सूत्र ने साफ किया कि सोमवार को वित्त मंत्री की मध्यस्थता में सेबी प्रमुख सी बी भावे और आईआरडीए प्रमुख जे हरिनारायण में जो सहमति हुई थी, उसमें शामिल था कि सेबी का 9 अप्रैल का आदेश नए यूलिप प्लान पर लागू रहेगा। इसे तो उसी समय बता देना था, लेकिन न जाने क्यों रह गया। इसलिए 13 अप्रैल को जारी सेबी के ताजा आदेश पर कोई चौंकने की बात नहीं है।

सहमति के तहत राहत मौजूदा 7.20 करोड़ यूलिप पॉलिसीधारकों को दी गई है ताकि कोई अफरातफरी न फैले। इस बीच उम्मीद यही है कि बीमा कंपनियां सेबी के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगी जिसमें आईआरडीए भी उनके साथ होगा। वैसे, कल 15 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर भी सुनवाई होनी है। लेकिन उक्त अधिकारी ने बताया कि सेबी के आदेश पर ऊपर-ऊपर जो भी हल्ला मचाया गया है उसमें नीचे के एजेंट जैसे व्यवसाई शामिल नहीं है। एजेंटों के बीच में तो इस बात की खुशी है कि यूलिप बेचने के चक्कर में जिस तरह वे बीमा की मूल धारणा से दूर जा रहे थे और ग्राहकों के साथ उनके रिश्ते खराब हो रहे थे, वे अब सुधरने लगेंगे।

यह भी माना जा रहा है कि फैसला आखिरकार सेबी के पक्ष में ही होना है क्योंकि हम मोटे तौर पर अमेरिका या ब्रिटेन के कानून व प्रचलन को आधार बनाते हैं। अमेरिका में बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं की निगरानी राज्यों के जिम्मे है, इसलिए वहां अलग-अलग कानून है। ब्रिटेन में सुपर रेगुलेटर की व्यवस्था है जो यूलिप जैसे उत्पादों की निगरानी करता है। भारत में अभी सुपर रेगुलेटर नहीं है। लेकिन निवेशकों के हितों के संरक्षण और पूंजी बाजार के नियंत्रण का जिम्मा सेबी के पास है। इसलिए यूलिप के निवेश के हिस्से का नियंत्रण देर-सबेर सेबी को ही मिलना है। वैसे भी, आईआरडीए हमारे वित्तीय क्षेत्र के नियामकों में सबसे लद्दड़ है। शीर्ष पर जो दो लोग हैं वे आईएएस अफसर हैं और उन्हें बीमा के धंधे की समझ नहीं है। बाकी लोग ऐसे हैं जो बीमा कंपनियों में हाशिए पर पहुंच गए थे। बस, सदस्य (एक्चुअरी) डॉ. आर कन्नन जैसे कुछ लोग ही समझदार हैं।

डॉ. कन्नन से बुधवार को बयान दिया कि एक-दो दिन में आईआरडीए किसी न किसी फैसले पर पहुंच जाएगी। बताया जाता है कि सेबी एलआईसी सहित बाकी बची नौ कंपनियों को भी यूलिप पर रोक के दायरे में लाने वाली थी। लेकिन सोमवार को सहमति के बाद इसे टाल दिया गया। एलआईसी की पॉलिसियों में यूलिप और पारंपरिक उत्पादों का अनुपात 65:35 का है और उसकी प्रीमियम आय का लगभग 60 फीसदी यूलिप से आता है। उसका वेल्थप्लस यूलिप प्लान 10 मई तक खुला हुआ है।

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