मत चूको चौहान, मौका अच्छा है

समय रहते कदम उठाना जरूरी होता है। सांप के गुजर जाने के बाद लाठी पीटने में क्या फायदा। आग बुझ गई तब फायर ब्रिगेड का क्या काम। मानसून बीत जाने के बाद बाढ़ का पानी मांगने का क्या तुक। मरीज की हालत जब नाजुक हो तभी उसे तुरंत इलाज चाहिए होता है। इसी तरह जब सेल खत्म हो जाए तो आप 30 फीसदी के भारी डिस्काउंट की मांग नहीं सकते। डर का कोई अंत नहीं है। आपको गिरते बाजार में भी अपने सहज कारोबारी ज्ञान का समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए।

दुनिया के बाजारों में आई गिरावट ने भारतीय शेयर बाजार में अच्छे-अच्छे स्टॉक डिस्काउंट पर उपलब्ध करा दिए हैं। अगर आप इस दौर में नहीं खरीद सकते तो अगले दौर में तेजी के माहौल और नए स्टॉक आने का इंतजार करना पड़ेगा जो शायद आपको महंगा पड़ जाए।

हम भारतीयों के पास भारी कैश सरप्लस रहता है और हम डिस्काउंट मिलने पर जमकर पैसा भी लगाते हैं। लेकिन शेयर बाजार के बारे में हम ऐसा नहीं करते क्योंकि हम अपना दिमाग इस्तेमाल करने के बजाय बिजनेस चैनलों को ही देखते रह जाते हैं कि वे क्या बता रहे हैं।

मुंबई पुणे एक्सप्रेस पर ट्रकों की भारी भीड़ की वजह से मुझे मुंबई से पुणे पहुंचने में चार घंटे लग गए और मुझे पुराना हाईवे याद आ रहा था। पुणे के बाहर हाइवे पर एक एक्सीडेंट भी हो गया था और सात किलोमीटर तक गाड़ियों की लाइन लग गई थी। फिर भी ट्रक इंतजार में लगे थे। यह बताता है कि हमारी औद्योगिक गतिविधि किस दिशा में जा रही है।

अभी बाजार में जो करेक्शन चल रहा है, वह पूरी तरह सेंटीमेंट पर आधारित है और इस मौके का इस्तेमाल बेहद सूझ-बूझ व समझदारी से किया जाना चाहिए। आप छोटे निवेशक हैं तो आपको इस सलाह पर गौर करना चाहिए, बजाय यह कयास लगाने के कि बाजार यहां तक जाएगा और वहां तक जाएगा। जो अरबों में खेलते हैं और ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन लेकर चलते हैं वे जरूर बाजार को ‘टाइम’ करने की कोशिश कर सकते हैं। उनके लिए कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि वे बाजार में निफ्टी के 4700 अंक होने पर घुसें या 5300 अंक होने पर। आखिरकार उन्हें साल में केवल 15 फीसदी आरवोआई (रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट) घोषित करना होता है।

रिटेल निवेशक तो अगर इस मौके का सही इस्तेमाल करें तो केवल दो दिन में 15 फीसदी का रिटर्न पा सकते हैं। फिर साल के बाकी 365 दिन आप मौज कीजिए। लेकिन मैं जानता हूं कि आप खुद को बदल नहीं सकते।

मैं दुनिया बदलने निकला। लेकिन राह में मुझे अहसास हो गया कि मैं चाहे कुछ न सही, खुद को तो बदल ही सकता हूं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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