मरीचिका है आरएनआरएल की धमा-चौकड़ी

आपको पता है कि कल मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में अनिल अंबानी की कंपनी आरएनआरएल (रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड) के कितने शेयरों के सौदे हुए? 6 करोड़ 68 लाख 19 हजार 279। इसमें से डिलीवरी के लिए खरीद-फरोख्त हुई 92 लाख 61 हजार 547 शेयरों की यानी केवल 13.86 फीसदी। डे ट्रेडरों ने इस शेयर को अच्छी वाट लगाई और यह एक दिन में ही 7.69 फीसदी गिर गया। लेकिन आज शेयर में उठाव का रुझान है। शेयर अभी 68 रुपए के आसपास है। दोपहर तक एनएसई में हुए सौदों की मात्रा 2 करोड़ 11 लाख 34 हजार शेयरों की थी और बीएसई में 90 लाख 53 हजार शेयरों की। कंपनी के कुल जारी शेयरों की संख्या करीब 163 करोड़ है जिसका 55 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास बंद पड़ा है। इस तरह देखें तो इधर एक दिन में आरएनआरएल के लगभग नौ फीसदी शेयरों के सौदे हो रहे हैं!!!

शेयरों के सौदों के ये आंकड़े इसलिए ताकि पता चल सके कि ट्रेडर समुदाय आरएनआरएल में कितनी ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। माहौल बना है कि 11 मई को देश के मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन के रिटायर होने पहले सुप्रीम कोर्ट बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ गैस के खरीद मूल्य के मुकदमे पर फैसला सुना देगा तो सारे बाजार के ट्रेडरों का ध्यान इन्हीं दो कंपनियों पर लग गया है। पिछले हफ्ते से हल्ला मचा दिया गया कि फैसला आरएनआरएल के पक्ष में आएगा। इसी बीच यह भी चर्चा चल गई कि खुद मुकेश अंबानी आरएनआरएल के अधिग्रहण की पेशकश कर सकते हैं और उनका ऑफर 110 रुपए प्रति शेयर का रहेगा। इस चर्चा से और कुछ हुआ हो या नहीं, माहौल बन गया कि आरएनआरएल 70 फीसदी तक फायदा दे सकता है। इस चक्कर में आम निवेशक खरीदारी करने लगे और इससे भाव जैसे ही ठीकठाक बढ़े, खिलाड़ी अपने शेयर बेचकर निकल गए। कल 7.69 फीसदी गिरावट की खास वजह यही थी।

असल में बाजार से जरा-सा भी ताल्लुक रखनेवाला जानता है कि रिलायंस समूह (मुकेश व अनिल दोनों की कंपनियां) माहौल को जब चाहे बना-बिगाड़ सकता है। अब से नहीं, धीरूभाई के जमाने से। इनकी सैकड़ों बेनामी निवेश कंपनियां हैं जो बाजार में खेल करती रहती हैं। जानते सभी हैं, लेकिन सरकार के अलावा किसी और के लिए इसे पुष्ट करना संभव नहीं है। हालांकि एफआईआई जैसे बड़े खिलाड़ियों के आ जाने से रिलायंस का खेल अब उतना आसान नहीं रह गया है। फिर भी बाजार का रुख पलटने का दमखम रखते हैं दोनों अंबानी बंधु। अलग-अलग हो जाने के बाद भी कई बार मिलकर खेल खेलते हैं। मुकेश भाई को जरूरत पड़ती है तो वे अनिल अंबानी के रिलायंस म्यूचुअल फंड से उसी तरह निवेश करवा देते हैं जैसे वह उन्हीं की कंपनी हो।

यह लगभग तय है कि गैस विवाद पर फैसला 11 मई से पहले आ जाएगा क्योंकि यह फैसला मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को करना है और वे रिटायर होने से पहले इतने महत्वपूर्ण मुकदमे को अलसुलझा नहीं छोड़ना चाहेंगे। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट अनिल अंबानी की कंपनी आरएनआरएल के पक्ष में फैसला सुना चुका है कि पारिवारिक समझौते के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज को केजी बेसिन से 280 लाख यूनिट गैस 2.84 डॉलर प्रति यूनिट की दर से आरएनआरएल को 17 सालों तक देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच 18 दिसंबर 2009 को इस विवाद पर सुनवाई पूरी कर चुकी है, लेकिन अपना फैसला सुरक्षित रखा है। यह भी हो सकता है कि फैसला कोई अगली बेंच सुनाए, लेकिन सटोरिये तो इसी कोशिश में लगे हैं कि कैसे आरएनआरएल के शेयरों को 112.45 रुपए के शिखर पर पहुंचा दिया जाए और इस दरम्यान मुनाफा भी बटोरते रहा जाए। इस माहौल में आम निवेशकों के लिए यही बेहतर होगा कि वे दूर खड़े तमाशा देखते रहें क्योंकि इसमें हाथ लगाने का मतलब जल जाना भी हो सकता है।

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