ताकि, बाजार में आएं रिटेल निवेशक

बाजार के ज्यादातर कारोबारी निफ्टी के 4950 से 5050 अंक के स्तर के बीच शॉर्ट सौदे करके फंस चुके हैं। इसलिए वे करेक्शन या गिरावट के पक्ष में हैं। जाहिर है उन्हें निफ्टी में १५० या इससे ज्यादा अंकों की गिरावट का इंतजार है। लेकिन यह भी सच है करेक्शन आपके चाहने पर कभी नहीं आता। हो सकता है कि मौजूदा सेटलमेंट तेजड़ियों के पक्ष में जाए क्योंकि निफ्टी में 5100 सीरीज के 75 लाख शेयरों और 5200 सीरीज के 580 लाख शेयरों से ज्यादा खरीद की स्थिति बन चुकी है।

एनएमडीसी के एफपीओ में मूल्य का दायरा तय हो चुका है और इसे 300 से 350 रुपए रखा गया है जो मेरी मूल अपेक्षा और सूचना के अनुरूप है। इससे एनएमडीसी के इश्यू की भारी सफलता सुनिश्चित हो गई है और इसे रिटेल निवेशकों से लेकर अमीर व्यक्तियों (एचएनआई) की तरफ से काफी सब्सक्रिप्शन मिलेगा। इस मकसद के लिए सरकार ने 2500 करोड़ रुपए रख रखे हैं और यह वाकई बहुत मायने रखता है।

सरकार ने पर्याप्त संकेत दे दिए हैं कि वह कंपनियों में अवाम की हिस्सेदारी को बढ़ाना चाहती है। रिटेल निवेशकों को डिस्काउंट देने की बुनियादी वजह यह कि सरकार चाहती है कि कंपनियों में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों या फ्री-फ्लोट का २५ फीसदी हिस्सा अवाम के हाथ में न जाए, न कि चंद लोग इस हिस्से को हथिया लें। दूसरी सरकारी कंपनियों के इश्यू में भी सरकार यह सकारात्मक रवैया दिखा चुकी है। यह एक स्वागतयोग्य कदम है। सरकार अगर लोगों की बचत को निवेश में बदलने के लिए कुछ और साहसी कदम उठाए तो इसका प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। इसके लिए और भी कई बाजार सुधार नितांत जरूरी हैं।

डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लागू करने का सेबी का फैसला वाकई सही दिशा में उठाया गया सार्थक कदम है। फिजिकल सेटलमेंट की जरूरत साल 2002 में डेरिवेटिव सौदों की शुरुआत के समय ही संसद में महसूस की गई थी। मैं संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट के आधार पर ऐसा कह रहा हूं। इस रिपोर्ट में साफ-साप सुझाव दिया गया था कि डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की शुरुआत जल्दी से जल्दी की जानी चाहिए।

बाजार को ज्यादा मजबूत बनाने और उसे अचानक आते उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए कुछ और कदम उठाए जाने चाहिए। संकट की स्थिति आने पर बी ग्रुप के शेयरों के सभी निवेशकों को निकलने का मौका दिया जाना चाहिए, भले ही इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। इससे ए ग्रुप के मार्जिन और भुगतान के दबाव को रोका जा सकता है जहां काफी बड़े दांव लगे हैं और बाजार में व्यवधान पैदा किए बगैर व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकता है। इससे बाजार में किसी इश्यू का मूल्य तलाशने की क्षमता को परखा जा सकता है।

जहां एक तरफ हम देखते हैं कि कैश ग्रुप के सभी शेयरों में निचला सर्किट ब्रेकर लगाकर सौदों की गुंजाइश कर दी जाती है और बेचने की इच्छा रखनेवाले निवेशकों की हर राह बंद हो जाती है, वहीं दूसरी तरफ ए ग्रुप के शेयरों को दाएं-बाएं, ऊपर नीचे उछाला जाता है और स्टॉक एक्सचेंज खुद हस्तक्षेप करके सौदों को अनिवार्य रूप से पूरे करवाता है क्योंकि इनमें मार्जिन का मसला होता है।

अगर चाह लिया जाए तो इससे बचा जा सकता है। ऐसा करना व्यापक बाजार सुधारों का हिस्सा होगा और इससे बी ग्रुप के शेयरों में फिर से कारोबार की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। निवेशकों के लिए जो बात काफी मायने रखती है वह यह है कि वे जरूरत पड़ने पर अपने शेयर बेचकर निकल सकें। आज लाखों निवेशक ऐसी सहूलियत न होने के कारण बी ग्रुप के शेयरों में हाथ लगाने से कतराने लगे हैं।

जहां तक वैश्विक माहौल की बात है तो अब यूरोपीय देशों में अधिक स्थायित्व आ चुका है और अमेरिकी बाजार में बड़े पैमाने पर बढ़त की उम्मीद है। अमेरिका में शेयर बाजारों का पूंजीकरण 14 लाख करोड़ डॉलर का हो चुका है और सीएनआई के विदेशी स्रोतों से मिली मेरी जानकारी के मुताबिक अमेरिकी कंपनियों के पास इस समय 3.2 लाख करोड़ डॉलर का कैश है। हेज फंड अभी ओवरसोल्ड स्थिति में हैं और कोई भी कवरिंग निकट भविष्य में डाउ जोंस को 11,000 अंकों के पार ले जा सकती है। भारत का परिदृश्य भी इससे अलहदा नहीं है। बजट के पहले कारोबारियों ने शॉर्ट सेलिंग कर रखी थी क्योंकि उन्हें अच्छे बजट की आशा नहीं थी। अब वे इसलिए शॉर्ट हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बाजार ज्यादा ही बढ़ चुका है और कुछ करेक्शन आना चाहिए।

दूसरी तरफ मुझे लगता है कि भारत सरकार इस समय तेजड़ियों के पक्ष में है। अग्रिम टैक्स संग्रह के आंकड़े अगले सोमवार से आने लगेंगे। मुझे यकीन है कि ये उत्साह बढ़ानेवाले होंगे। इसके बाद नई खरीद और तेजी का सिलसिला चलेगा। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें खपत में सुधार यानी उसके बढ़ने का एक और संकेत हैं। संसद के पटल पर वित्त मंत्री द्वारा दिए गए बयान ने रुपए की मजबूती को बढ़ाया है। इससे देश में विदेशी पूंजी का प्रवाह और बढ़ने का संकेत मिलता है।

मैं एक बार फिर यह बात कारोबारियों पर छोड़ देता हूं कि उन्हें कौन-सी दिशा पकड़नी है। जब भी बाजार थकता हुआ दिखता है तो कारोबारी शॉर्ट करने लगते हैं और फिर वे पाते हैं कि वे तो फंस गए।

आपका व्यक्तित्व आपके लिए नए दरवाजे खोल सकता है। लेकिन वे दरवाजे खुले रहते हैं या नहीं, यह आपके चरित्र से तय होता है।

(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *