चमक गए चेहरे कई सेक्टरों के

बजट ने यकीनन बाजार की प्रमुख चिंताओं का ख्याल रखा है। वित्त मंत्री सरकार की बाजार उधारी को 3.45 लाख करोड़ रुपए तक लाने में कामयाब रहे हैं, जबकि एनालिस्ट लोग 4.75 लाख करोड़ की उम्मीद कर रहे थे। यह भी वाकई चौंकानेवाली बात रही कि आयकर में रियायतें दी गई हैं। वह भी तब, जब सरकार को राजस्व जुटाने में मुश्किल आ रही है। सरकार के प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों से उसकी कर आमदनी में 26,000 करोड़ रुपए की कमी आएगी जो पहले से 4 फीसदी की घटत दर्शाती है। लेकिन मुझे लगता है कि इस कदम में विकास को गहराई तक ले जाने का चमत्कारी तत्व है। इसे कहते हैं सबको शामिल करनेवाला विकास या इन्क्लूजिव ग्रोथ। छठे वेतन आयोग और किसानों की कर्जमाफी ने पहले से एक माकूल माहौल बनाया था जिसने हमारे ऑटो उद्योग को दुनिया का टॉप सेक्टर बना दिया। अब आयकर की नई रियायतों से ऑटो उद्योग को और रफ्तार मिलेगी। इसलिए यह वक्त ऑटो एंसिलरी कंपनियों में निवेश का है। सरकारी खर्च में 10 लाख करोड़ के आधार पर 8.6 फीसदी की वृद्धि सचमुच काबिले-तारीफ है और इससे पता चलता है कि भारत एशिया का शेर बनने की राह पर है।

ऊपर से इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1,73,552 करोड़ और ग्रामीण विकास के लिए 66,100 करोड़ रुपए का प्रावधान। इसमें से सामान्य तौर पर 12 फीसदी खर्च सीमेंट और 14 फीसदी खर्च स्टील पर होगा। इसलिए यह दोनों सेक्टर बाजार की पसंद बन जाएंगे। यहां भी एसीसी, इंडिया सीमेंट, ग्रासिम, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू और इस्पात इंडस्ट्रीज निवेश के मुफीद ठिकाने दिखते हैं। वैसे, रतन टाटा अगले दो सालों में टाटा स्टील में कम से कम दो और अधिग्रहण करने की फिराक में हैं। यानी, अगले दो सालों में टाटा स्टील का स्टॉक नई ऊंचाइयों पर जा सकता है।

इसके बाद गैर-बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) का नंबर आता है। असल में प्रणब दा ने कोलकाता के लिए लॉटरी निकाल दी है। ज्यादातर निजी एनबीएफसी कोलकाता के लोगों के हाथ में हैं और इन पर प्रीमियम ऐन बजट के बाद 100 फीसदी तक बढ गया है। रिजर्व बैंक इधर बैंक के नए लाइसेंस नहीं दे रहा है और बजट के बाद अब एनबीएफसी को बैंकिंग लाइसेंस मिल सकता है। जल्दी ही अनिल धीरूबाई अंबानी समूह का बैंकिंग में उतरने का सपना पूरा हो सकता है और आईएफसीआई के बैंक बनने की योजना भी रंग ला सकती है।

कर संग्रह के अब तक के आंकड़े दिखाते हैं कि कुल प्राप्तियां लक्ष्य के पार जा सकती हैं। सरकारी कंपनियों के विनिवेश से 40,000 करोड़ जुटाना भी कोई मुश्किल नहीं होगा। इसमें कोई शक नहीं कि बजट विकास को बढ़ानेवाला है, हालांकि चंद चिंताएं और कमियां हैं जिन्हें कभी बाद में वित्त मंत्री या रिजर्व बैंक को सुलझाना होगा। अब चूंकि वित्त मंत्री ने वित्तीय मजबूती के लिए कायदे की पहल नहीं की है, इसलिए बाजार को मुद्रास्फीति बढ़ने का अंदेशा है और नतीजतन आगे रेपो, रिवर्स रेपो दर और सीआरआर में वृद्धि हो सकती है।

हाउसिंग सेक्टर में अधूरे निर्माण से जुड़ा एक प्रावधान है जिससे खरीदारों के लिए घर की कीमत 10 फीसदी बढ़ सकती है और हाउसिंग क्षेत्र की रीयल्टी कंपनियों के शेयरों पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन साथ ही यह री-सेल करनेवालों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि बढ़ी कीमतों से उन्हें फायदा होगा और इस पर सर्विस टैक्स नहीं लगेगा। वैसे, वित्त मंत्री को इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए।

न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) का 3 फीसदी बढ़ाया जाना वाकई बुरा कदम है क्योंकि घाटे में चल रही कंपनियों को अब ज्यादा टैक्स देना होगा, जबकि सरचार्ज में 2.5 फीसदी कमी सभी कंपनियों के लिए अच्छी बात है। कुल मिलाकर कहूं तो बजट आर्थिक विकास को अग्रगति देनेवाला है और बाजार इसका स्वागत करेगा। हालांकि बाजार के कुछ खिलाड़ी हमेशा नकारात्मक पहलू खोजने में लगे रहते हैं। ऐसे ही कुछ लोगों ने निफ्टी के 3800 पर पहुंचने का मंसूबा पाल रखा है।

खैर, जल्दी ही हम बजट के बारे में भूल जाएंगे और ग्लोबल चिंताओं के घेरे में होंगे क्योंकि बाजार को बात करने और दोष देने के लिए कुछ तो चाहिए। और, याद रखें। मंदड़िए बाजार का अभिन्न हिस्सा हैं। मंदड़िए कभी मिटते नहीं।

(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। इस कॉलम को लिखनेवाला खुद को अनाम रखना चाहता है। हालांकि वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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