ग्रीस दो साल में ऋण-मुक्त होगा, मगर जापान व इटली दशकों तक दबे रहेंगे

ऋण संकट से जूझ रहा ग्रीस साल 2013 इससे निजात पा लेगा और उनकी राजकोषीय व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। वह यूरोप की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से पहले ऐसा करने में कामयाब होगा। दूसरी तरफ जापान में 2084 तक और इटली में 2060 तक सरकारी ऋण बड़ी समस्या बना रहेगा। यह निष्कर्ष है स्विटजरलैंड के मशहूर बिजनेस स्कूल आईएमडी की तरफ से आज, बुधवार को जारी की गई अध्ययन रिपोर्ट का।

रिपोर्ट का आकलन है कि अमेरिका 2033 तक सरकार के ऋण को घटाकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 60 फीसदी तक लाने में कामयाब हो जाएगा। उसने ऐसा 2015 तक के बजट घाटे के अनुमानों के आधार पर कहा है। आईएमडी के प्रोफेसर स्टीफन गैरेल्ली का कहना है कि सरकारी ऋण का आकार ही नहीं, बल्कि यह भी मायने रखता है कि उसे कितने समय में उतारा जा सकता है। आखिरकार इसका असर यह होगा कि ऋण के बोझ तले दबे देश अपनी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमंता खो देंगे और वहां के बाशिंदों का जीवन स्तर घट जाएगा।

तमाम तरह के आंकड़ों के आधार पर आईएमडी ने एक सूचकांक बनाया है जिसके आधार पर दुनिया के देशों के भावी ऋण का आकलन किया गया है। साल 2000 से साल 2009 के आर्थिक विकास के पैटर्न के आधार पर आईएमडी की अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि जर्मनी और ब्रिटेन 2028 तक सरकारी ऋण को जीडीपी के 60 फीसदी तक पहुंचाने में कामयाब रहेंगे। फ्रांस इनके एक साल बाद यह स्तर हासिल कर पाएगा।

आईएमडी के सूचकांक में ऋण संकट के सबसे ज्यादा तनाव से ग्रस्त तीसरा देश पुर्तगाल है। वह 2037 तक सरकारी घाटे को जीडीपी के 60 फीसदी तक ला पाएगा। असल में जीडीपी के 60 फीसदी सरकारी ऋण को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने सहनशीलता की सीमा माना है। बेल्जियम ऋण बोझ का तनाव झेलता चौथा देश है जो 2035 तक अपने सरकारी ऋण को सहनशीलता की सीमा में ले आएगा। बेल्जियम के साथ खास बात यह है कि उसका सरकारी ऋण मुख्यतया देश के भीतर से ही लिया गया है, जबकि ग्रीस व पुर्तगाल का ज्यादातर ऋण विदेशी संस्थाओं का है।

आईएमडी के मुताबिक अर्जेटीना, ब्राजील और भारत 2015 तक ही सरकारी ऋण को आईएमएफ द्वारा मान्य सीमा में ले आएंगे, जबकि तुर्की, स्विटजरलैड और चीन अभी से ही यह स्तर हासिल कर चुके हैं, यानी इन देशों की सरकारों का ऋण उनके जीडीपी के 60 फीसदी से कम है। रिपोर्ट में जर्मनी की मजबूत निर्यात वृद्धि और शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ की गई है, लेकिन स्पेन, पुर्तगाल और ग्रीस की साख को लेकर चेतावनी दी गई है। कहा गया है कि ये देश पूरे दक्षिणी यूरोप के विकास के गले का पत्थर बन गए हैं।

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