नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने छह और कंपनियों को अपने फ्यूचर्स व ऑप्शंस (एफ एंड ओ) सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए शामिल कर लिया है। ये कंपनियां हैं एक्साइड, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, जिंदल साउथवेस्ट होल्डिंग्स, रुचि सोया, शोभा डेवलपर्स और हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज। अभी तक एनएसई के एफ एंड ओ सेगमेंट में 190 कंपनियों के डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग होती रही है। अब इनकी संख्या बढ़कर 196 हो जाएगी।
एनएसई ने अभी तक यह नहीं बताया कि छह नई कंपनियों के डेरिवेटिव में किस तारीख से ट्रेडिंग शुरू होगी। इसकी घोषणा वह अपने नए सर्कुलर में करेगा। एफ एंड ओ सेगमेंट में आते ही शेयरों में लिक्विडिटी बढ़ जाती है। अभी इनमें फिजिकल डिलीवरी का झंझट नहीं है। इसलिए केवल मार्जिन पर सौदे होते हैं। इनसे कमाई भी ज्यादा होती है और घाटा भी बहुत होता है।
बुनियादी तौर पर कहें कि कंपनियों के डेरिवेटिव सौदे उनके शेयरों पर ही आधारित होते हैं। लेकिन ये सौदे एक से तीन महीने के होते हैं तो इनमें भावों पर संभावित घटनाओं का अपेक्षाकृत ज्यादा असर पड़ता है। डेरिवेटिव सौदों का मुख्य ठिकाना अभी तक एनएसई ही बना हुआ है। बीएसई में इसके एक चौथाई सौदे भी रोजाना नहीं होते।